वादे तमाम करके उजाले मुकर गए

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naveen mani
यूँ तीरगी के साथ ज़माने गुज़र गए।
वादे तमाम करके उजाले मुकर गए॥
शायद अलग था हुस्न किसी कोहिनूर का।
जन्नत की चाहतों में हजारों नफ़र गए॥
ख़त पढ़ के आपका वो जलाता नहीं कभी।
कुछ तो पुराने ज़ख़्म थे पढ़कर उभर गए॥
उसने मेरे जमीर को आदाब क्या किया।
सारे तमाशबीन के चेहरे उतर गए॥
क्या देखता मैं और गुलों की बहार को।
पहली नज़र में आप ही दिल में ठहर गए॥
अरमान भी मिरे थे कि पहुंचेंगे चाँद तक।
इस बेरुखी के दौर में सपने बिखर गए॥
कुछ खैरख्वाह भी थे पुराने शजर के पास।
आई जो आँधियाँ तो वो जाने किधर गए॥
तकदीर हौंसलों से बनाने चला था वो।
आखिर गई हयात सितारे जिधर गए॥

              #नवीन मणि त्रिपाठी

परिचय : नवीन मणि त्रिपाठी कानपुर(उत्तरप्रदेश)के अर्मापुर रियासत में रहते हैंl आपका जन्म १९७५ का हैl 

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