हे पार्थ! मेरा थोड़ा भार तुम ले लो

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kumari archana
हे पार्थ!
मेरा अनुनय स्वीकार करो,
मेरा थोड़ा भार तुम ले लो।
जैसे मैंने तुम्हारा लिया है,
माहवारी की पीड़ा
नौ महीने की कोख,
प्रसव की असहनीय पीड़ा
शिशु को स्तनपान कराना,
उनका लालन-पालन
घर के कामकाज का भार,
मेरे ही कंधों पर है…
अब तो मैं बाहरी काज भी,
सोंचो अगर मैं ये ना लेती तो
तुम इन कार्यों में उलझे रहते,
और तुम महापुरूष न बनते।
हे पार्थ!
तुमने सृष्टि का विकास दायित्व लिया है
प्रकृति व मेरी सुरक्षा का भी,
पृसत्तात्मकता की वृक्ष वृद्धि का
विज्ञान व अर्थिक विकास का भी,
तो परिवार नियोजन के लिए
नसबंदी का भार तुम ले लो।
नहीं तो और संतान की संभावना
बनी रहेगी…
और तुम पर और भार बढ़ेगा
गर्भ निरोधक गोली बार-बार खाने से
मुझ पर प्रभाव पड़ेगा,
बार-बार गर्भपात कराने से
मेरा स्वास्थ्य जीर्ण होगा,
और मैं मौत के मुँह में जाकर
वापस न आ पाऊंगी…
तुम तो दूसरी,तीसरी जाने कितनी..
ही पत्नी व प्रेयसी मिल जाएगी,
पर मेरे लालाओं को
माँ का प्यार-दुलार न मिलेगा।
पुरूष नसबंदी के बहुत से फायदे हैं,
एक तो महिलाओं को शारीरिक व मांनसिक अवसाद कम होगा
दूजा पुरुष के स्त्रीगामी होने के
खतरे कम होगें,
घरों में गृहकलह कम होगें
तलाक के प्रकरण भी कम दर्ज होगें,
परिवार का विघटन रूकेगा
साथ ही जनसंख्या नियंत्रण पर
लगाम कसेगी।
हे पार्थ!
अब तो ले लो मेरा भार,
नहीं तो मेरा जीवन दु:खमय व
अवसाद के भवसागर में सदा ही
तैरता और उतरता रहेगा॥
                                                #कुमारी अर्चना

परिचय: कुमारी अर्चना वर्तमान में राजनीतिक शास्त्र में शोधार्थी है। साथ ही लेखन जारी है यानि विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में निरंतर लिखती हैं। आप बिहार के जिला-पूर्णियाँ ( हरिश्चन्द्रपुर) की निवासी हैं।

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