मैंने त्याग दिया हठ!

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naveen acharya

आजकल मैं अहसासों के

बलबूतों पर जी रहा हूँ।
मुझे हर क्षण मिलती हुई
ऊर्जा के सबूतों पर जी रहा हूँ॥
मैं एक कदम बढ़ाता हूँ,
खुश होता हूँ ..
फिर उसका स्वाद लेकर,
मैं एक कदम और बढ़ाता हूँ…
इस तरह,खुद की खिदमतों पर जी रहा हूँ…
आजकल मैं अहसासों
के बलबूतों पर जी रहा हूँ॥
सुबह ध्यान की गहराइयों में सेंध मारता हूँ…
चुपके से निकल फिर,संगीत साधता हूँ,
एक बचपन मेरा फिर-सा जागा है,
अब मैं तितलियों के पीछे भागता हूँ,
ये सब क्यों हो रहा हैं मेरे साथ,
शायद…..
अब मैं बचपन की जरूरतों पर जी रहा हूँ।
आजकल मैं अहसासों के बलबूतों पर जी रहा हूँ॥

मैंने त्याग दिया अपना हठ,
जो मुझे तथाकथित बुद्धिजीवी बनाता था…
मेरे अहंकार के विलुप्त होने पर,
मेरे भीतर की भटकन के जब्त होने पर…
सारा अस्तित्व प्रेम से सिक्त होने पर,
अब मैं पुनः अपनी शर्तों पर जी रहा हूँ…
आजकल मैं अहसासों
के बलबूतों पर जी रहा हूँ।
मुझे हर क्षण मिलती हुई
ऊर्जा के सबूतों पर जी रहा हूँ॥

#आचार्य नवीन ‘संकल्प’
परिचय:आचार्य नवीन का साहित्यिक उपनाम-संकल्प है। आपकी जन्मतिथि-२१ फरवरी १९८९ और जन्म स्थान-ग्राम-बजीना(जिला-अल्मोड़ा,उत्तराखंड)है। वर्तमान में आप पतंजलि योगपीठ हरिद्वार(उत्तराखंड)में निवासरत हैं। उत्तराखंड राज्य के हरिद्वार शहर से संबंध रखने वाले आचार्य नवीन की शिक्षा-बीए सहित पीजीडीएमए तथा दर्शन में आचार्य (पतंजलि योगपीठ हरिद्वार से)है। कार्यक्षेत्र में आप विभिन्न सेवा प्रकल्पों में सेवारत हैं और वर्तमान में योग प्रचारक विभाग का दायित्व निभाने के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय हैं। २०१२ से नौकरी छोड़कर पतंजलि योगपीठ के साथ मिलकर सामाजिक,सांस्कृतिक,आध्यात्मिक क्षेत्र में अहर्निश ही सेवा कर रहे हैं। अगर लेखन की बात की जाए तो कविता, संस्मरण,काव्य-रचना,लेख,कहानी,गीत और शास्त्रीय रचना का सृजन करते हैं। प्रकाशन में उपनिषद-सन्देश( उपनिषदों की काव्यमय रचना) पतंजलि योगपीठ द्वारा प्रकाशित है। आप ब्लॉग पर भी लेखन करते हैं। आपकी खासियत यह है कि,स्वतंत्र और अत्यंत आकस्मिक लेखन करते हैं। उपलब्धि यह है कि,पूज्य स्वामी रामदेव जी द्वारा चैनल के माध्यम से कई बार लेखन की प्रशंसा पा चुके हैं। आपकी दृष्टि में लेखन का उद्देश्य-मात्र विशुद्ध अभिव्यक्ति,सम्पूर्ण रिक्त,व्यक्त होने के भाव से भर जाना,चेतना का लेखन द्वारा ईक्षण करना तथा समय के साथ अपनी चेतना के स्तर पता करते जाना है।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।