बेटियाँ

0 0
Read Time2 Minute, 51 Second
sarita singhai
घर आंगन को जो महकाये,
बिटिया प्यारी रानी है।
बाबुल के बगियाँ की तितली,
मंमी की दीवानी है।।
ठुमक ठुमक कर वो चलती है,
मन की वो मतवाली है।
बेटी है तो दीपक जलते,
घर में रोज दिवाली है।।
घर आंगन को सजा सँवारे,
खुशबू से महकाती है।
पूजा की वो थाल सजाती,
और आरती गाती है।।
भैया के संग प्रेम झगड़ के,
बनती सबकी नानी है।
मात पिता को पता न चलता,
कब हुइ बड़ी सयानी है।।
वर ढूँढे फिर बाबुल प्यारा,
घड़ी बिदाई की आती।
घर आंगन को छोड़़ बेटियाँ,
फिर परदेश चली जाती।
बन जाती वो धुरी गृहों की,
अविचल निश्छल वो नारी।
सास ससुर अरु प्रियतम मन की,
फूल खिली वो फुलवारी।
माँ बनकर के कर्ज उतारे,
जीवन की वो धारा हैं।
घर संस्कृति उन्नत समाज का,
नियम अनोखा प्यारा हैं।
शिक्षा देगें हर बेटी को,
शक्ति अनोखी धारेगी।
पापी नीच नराधम को वो,
चंड़ी बनकर मारेगी।
लहरा कर वो गगन तिरंगा,
महरानी कहलायेगी।
भारत को वो विश्व गुरू कर,
दुनियां में चमकायेगी।।
  #सरिता सिंघई ‘कोहिनूर’ 
परिचय : श्रीमति सरिता सिंघई का उपनाम ‘कोहिनूर’ है। आपका उद्देश्य माँ शारदा की सेवा के ज़रिए राष्ट्र जन में चेतना का प्रसार करना है।उपलब्धि यही है कि,राष्ट्रीय मंच से काव्यपाठ किया है। शिक्षा एम.ए.(राजनीति शास्त्र) है। वर्तमान में मध्यप्रदेश के वारासिवनी बालाघाट में निवास है। जन्म स्थान नरसिंहपुर है। गीत,गज़ल,गीतिका,मुक्तक,दोहा,रोला,सोरठा,रुबाई,सवैया,चौपाईयाँ,कुंडलियाँ ,समस्त छंद,हाइकू,महिया सहित कहानी ,लेख,संस्मरण आदि लगभग समस्त साहित्य विद्या में आप लिखती हैं और कई प्रकाशित भी हैं। आपकी रूचि गायन के साथ ही लेखन,राजनीति, समाजसेवा, वाहन चालन,दुनिया को हंसाना,जी भर के खुद जीना,भारत में चल रही कुव्यवस्थाओं के प्रति चिंतन कर सार्थक दिशा देने में है। पूर्व पार्षद होने के नाते अब भी भाजापा में नगर मंत्री पद पर सक्रिय हैं। अन्य सामाजिक और साहित्यिक संगठनों से भी जुड़ी हुई हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

बचपन

Fri Mar 29 , 2019
बचपन है, जीवन के वे अनमोल क्षण, जो रहस्यमयी अनुभवों को छोड़ गये। अनुभव के लिए, आंख- मिचौली के लिए, हर आशंका से मुक्त, स्वछन्द, निर्भीक जीवन के पल, स्वप्नों से समावेशित, क्षणिक, रहस्यमयी जीवन के अंश, जो अमिट, अचिरायु मात्र हैं। #नाम-प्रीति गौड़ पता- जयपुर(राजस्थान) शिक्षा- एम टेक ( […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।