मुंबईl
संविधान की आठवीं अनुसूची और हिंदी के मुद्दे पर गृहमंत्री राजनाथसिंह से प्रतिनिधि मंडल ने मुलाकात की। इसका नेतृत्व श्याम परांडे(महासचिव अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद) ने कियाl उनके साथ पूर्व राजदूत वीरेंद्र गुप्ता,वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.अशोक चक्रधर एवं डॉ.राकेश पांडेय आदि रहे। गृहमंत्री से देश की भाषाई अखंडता पर चर्चा हुई और उनसे आठवीं अनुसूची में बदलाव से हिंदी के संवैधानिक रूप से कमजोर होने की स्थिति पर भी बात की गई। स्वयं गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस मुद्दे का समर्थन करते हुए कहा कि,सरकार की मंशा हिंदी को कमजोर करने की नहीं है। शिक्षा के हर स्तर पर हिन्दी के सारे पाठ्यक्रम तो हिंदी परिवार की इन्हीं बोलियों से बने हैं। इस अवसर पर डॉ. पांडेय द्वारा संपादित पुस्तक ‘आठवीं अनुसूची और हिंदी की बोलियां’ गृहमंत्री को भेंट की गई। श्री परांडे व श्री गुप्ता ने हिंदी को वैश्विक परिदृश्य पर भी हिंदी की महत्वपूर्ण भूमिका की बात कही। डॉ. चक्रधर ने नई हिंदी प्रौद्योगिकी के माध्यम से हिंदी और हिंदी की अन्य सहोदर बोलियों को मज़बूत करने का सुझाव दिया। डॉ.पांडेय ने हिंदी को बांटने की राजनीति पर बात करते हुए सबको सचेत रहने की बात कही। गृहमन्त्री श्री सिंह ने सबकी बात सुनते हुए हिंदी के हित के प्रति आश्वस्त किया।
(आभार-वैश्विक हिंदी सम्मेलन,मुंबई)