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चंद सिक्कों की चमक खनक के आगे,
ईमान डावांडोल करते हैं लोग आजकल।
वो एक गरीब है जो लाखों का तनबदन,
ईमान खातिर लगाता है मजूरी में आजकल।
बेशक वो धनवान नहीं है नजर में जमाने की,
पर वो ही एक अच्छा बचा है उसकी नजर में आजकल।
सफेदी भले ही उसके लिबास पर उतनी नहीं है,
पर मन आज सिर्फ उसका ही उजला है आजकल।
आदमियों की बस्तियों में रहकर ये जाना मैंने,
कुत्ते और दरबान ही मिलते हैं आजकल॥
#मानक लाल ‘मनु’
परिचय : मानक लाल का साहित्यिक उपनाम-मनु है। आपकी जन्मतिथि-१५ मार्च १९८३ और जन्म स्थान-गाडरवारा शहर (मध्यप्रदेश) है। वर्तमान में आडेगाव कला में रहते हैं। गाडरवारा (नरसिंगपुर)के मनु की शिक्षा-एम.ए.(हिन्दी साहित्य-राजनीति) है। कार्यक्षेत्र-सहायक अध्यापक का है। सामाजिक क्षेत्र में आप सक्रिय रक्तदाता हैं। लेखन विधा-कविता तथा ग़ज़ल है। स्थानीय समाचार पत्रों में रचनाएं प्रकाशित होती रहती हैं। लेखन गतिविधियों के लिए कई सामाजिक-साहित्यिक संस्थाओं की सदस्यता ले रखी है। आपके लेखन का उद्देश्य-सामाजिक सरोकार,हिंदी की सेवा,जनजागरुक करना तथा राष्ट्र और साहित्यिक सेवा करना है।
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