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बड़े-बुजुर्ग घर की रौनक है,
एक रक्षा कवच,एक दौलत हैl
अनुभव का हैं वे खजाना,
बहुत खलता है उनका जानाl
जीते-जी उन्हें अपना बना लो,
सिर-आंखों पर उन्हें बिठा लोl
खराब नक्षत्र भी सुधर जाएंगे,
बिगड़े सब काम बन जाएंगेl
बुजुर्गों की दुआओं का फल मिलता है,
घर का कोना-कोना खिल उठता हैl
परमात्म सेवा यही कहलाती है,
लक्ष्मी चलकर स्वयं घर आती है।
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