जिस तरह हंसना-रोना,मुस्कुराना,खुश होना,उदास होना,प्यार- दुलार,ग़ुस्सा किसी इंसान के जीवन का अहम हिस्सा होते हैं,वैसे ही डर भी दिल और दिमाग का अविभाज्य अंग हैl यानी प्यार पर फिल्में बनाकर सैकड़ों बार बेची गई,वैसे ही बॉलीवुड से हॉलीवुड यहां तक कि,टॉलीवुड में भी हॉरर फिल्में बनाई गई और दर्शकों तक परोसी ओर सफलता अर्जित की गई हैl इसी अध्याय में एक फ़िल्म और आई है `अभिशप्त`l यह फ़िल्म छोटे बजट की होकर कम सिनेमाघरों में प्रदर्शित होकर कामयाब लगी हैl इसकी कहानी यह है कि,चंद दोस्त मतलब कुछ लड़के-कुछ लड़कियां जो प्रेमी जोड़े भी हैं,बाहर जाने की योजना बनाते हैंl जाने-अनजाने में वह लोग ऐसे बंगले में पहुँच जाते हैं,जो शापित है और यहां से शुरू होता है मौत का खेलl यह बंगला एक जवान बेटे से सताए गए बाप का है,जो मरने के बाद भी नौजवानों से अपनी नफरत ओर कुंठा खत्म नहीं कर पाया हैl
भूतिया फिल्मों में सबसे बड़ा कारक यह होता है कि,भूत का खात्मा कैसे किया जाए ? इसके लिए भारत में हॉलीवुड से ज्यादा साधन ओर मान्यताएं मौजूद हैंl मसलन-भूत के खात्मे के लिए हनुमान चालीसा,ताबीज,मंदिर या मज़ार का नवरंगा धागा- मिट्टी-पानी सहित और भी बहुत कुछl इस फिल्म में एक नया तजुर्बा देखने को मिला,जिसके लिए आपको फ़िल्म देखनी पड़ेगीl
कलाकारों में इंदौर के तपन मुखर्जी,इदरीस खत्री,शाकिर एहमद, खुशबू सिधवे,विश्वनाथ महाजन ओर मुम्बई से शेजी काज़मी, अनुराधा सिंग,शिवानी वर्मा,हर्षित डिमरी ने ईमानदारी से अपने किरदारों को बखूबी निभाया हैl
हॉरर फिल्म तथा संगीत का तालमेल बहुत जरूरी होता है,जो यहां आनन्द ओर निधि ने बखूबी निभाया हैl साउंड पर नई तकनीक ७ .१ पर काम किया गया हैl एक गाना तो देखते-देखते ही गुनगुनाने लगते हैंl
`चेहरा तेरा…` जो हॉरर आइटम गीत होकर सुंदरता से अभिषेक ने फिल्माया है,जिसमें नीरज परिहार का अच्छा नृत्य निर्देशन देखने को मिला हैl निर्देशन एवं लेखन गुलरेज का था,जो सधा हुआ लगाl फ़िल्म में तकनीकी पहलू में वीएफएक्स के प्रयोग अच्छे हैंl किसी कम बजट की फ़िल्म में इतनी शिद्दत और ईमानदारी से कम ही काम देखने को मिलता हैl साथ ही एनिमेशन ओर थ्री डी प्रभाव भी देखते ही बनते हैं,जिसे मोहित सोनी,पवनसिंह और भावेश गुप्ता ने अंजाम दिया हैl
इंदौर शहर के लिए यह फ़िल्म एक नए अध्याय की शुरुआत मानी जा सकती है,जिसमें मुम्बई ओर इंदौर के कलाकारों का मिश्रण फिर देखने को मिलाl `आँखें होती छोटी है,परंतु सपने बड़े देखती है`-ज़ाकिर हुसैन (निर्माता) की इसी बात को वितरक बृजेन्द्र सिंह गुर्जर ने हकीकत में प्रदेश में बदला हैl इसी पंक्ति को पूरी करती फ़िल्म `अभिशप्त` में कुल जमा ३ गाने हैं,जिसमें से `चेहरा तेरा …` सबसे अच्छा हैl फ़िल्म का एक बड़ा तकनीकी पहलू मेकअप है,जो हॉरर फिल्मों की जान होता हैl इसमें हॉलीवुड पेपर तकनीक का उपयोग करके मुम्बईया मेकअप आर्टिस्ट इसाक खान ने शानदार काम किया हैl
बॉलीवुड को प्रदेश में लाने की पहल को आगे बढ़ाती और नए लक्ष्य पर पहुँचाती यह फ़िल्म पूरे परिवार के साथ बैठकर देखी जा सकती है,क्योंकि हॉरर और सेक्स का चोली दामन का साथ रहा है,पर इस फ़िल्म में सेक्स नाममात्र का भी देखने को नहीं हैl
फ़िल्म में बाहर से मदद अब्दुल राजा शेख ने की हैl इसीलि लिखा
है कि,इस फ़िल्म से प्रदेश में नए अध्याय की शुरुआत हो चुकी हैl
#इदरीस खत्री
परिचय : इदरीस खत्री इंदौर के अभिनय जगत में 1993 से सतत रंगकर्म में सक्रिय हैं इसलिए किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं| इनका परिचय यही है कि,इन्होंने लगभग 130 नाटक और 1000 से ज्यादा शो में काम किया है। 11 बार राष्ट्रीय प्रतिनिधित्व नाट्य निर्देशक के रूप में लगभग 35 कार्यशालाएं,10 लघु फिल्म और 3 हिन्दी फीचर फिल्म भी इनके खाते में है। आपने एलएलएम सहित एमबीए भी किया है। इंदौर में ही रहकर अभिनय प्रशिक्षण देते हैं। 10 साल से नेपथ्य नाट्य समूह में मुम्बई,गोवा और इंदौर में अभिनय अकादमी में लगातार अभिनय प्रशिक्षण दे रहे श्री खत्री धारावाहिकों और फिल्म लेखन में सतत कार्यरत हैं।