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हारे के सहारे आ जा,तेरा भक्त पुकारे आजा,
हम तो खड़े तेरे द्वार,सुन ले करुणा की पुकार…
आओ नाथ पार्श्वनाथ आओ,नाथ पार्श्वनाथ।
आओ नाथ पार्श्वनाथ आओ, नाथ पार्श्वनाथ॥
कोई सुनता नहीं,अब में क्या करुं,
दर्द दिल की दसा जा के किससे कहूं…
तेरे होते मेरी हार,कैसे करूँ स्वीकार, पार्श्वनाथ।
अब आ के धीर बंधा जा॥
हम तो खड़े तेरे द्वार,सुन ले करुणा की पुकार,
हारे के सहारे आ जा,तेरा भक्त पुकारे आजा॥
लाख कोशिश करुं, काम बनता नहीं क्या करुं,
बीच भंवर में नैया,आ फंसी,क्या करुं…
टूट गई पतवार, कैसे होगा भव पार, पार्श्वनाथ…
अब आ के पार करवा जा।
हम तो खड़े तेरे द्वार,सुन ले करुणा की पुकार॥
हारे के सहारे आ जा,तेरा भक्त पुकारे आ जा,
आओ नाथ पार्श्वनाथ,आओ नाथ पार्श्वनाथ।
आओ नाथ पार्श्वनाथ,आओ नाथ पार्श्वनाथ॥
#संजय जैन
परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
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