विदाई

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poonam
एक जन्म से विदा होकर
मानव माँ की कोख में आता है,
माँ की कोख छोड़
फिर दुनिया में कदम रखता है।

फिर कहीं आगमन तो कहीं विदाई
यही सिलसिला चलता रहता है,
माँ का आंचल छोड़
दुनिया का सामना करना पड़ता है।

पलक झपकते ही
बालपन विदा होकर,किशोरावस्था से
निकलकर युवावस्था आ खड़ी होती है,
युवावस्था खूब सपने दिखाती है।

सपने भी कब होते हैं अपने,
शनै-शनै उसकी भी होती रहती है विदाई।

एक घर से,दूसरे घर
एक शहर से,दूसरे शहर
ये जीवन का हिस्सा बन जाता है,
इसी दौड़ में भागते-भागते
प्रौढ़ावस्था से निकलकर
वृद्धावस्था का पदार्पण हो जाता है।

वृद्धावस्था तक आते-आते
इस सिलसिले से थक जाते हैं हम
फिर लेकर विदाई,
पूर्व स्थान प्राप्त करने को
मन आतुर हो जाता है।

कहो,कहाँ नहीं होती विदाई?
जहाँ आगमन है,वहाँ होती विदाई,
आगमन से पहले होती विदाई,
आगमन के बाद भी होती विदाई।।

                                                                  #पूनम झा

परिचय: पूनम झा राजस्थान के कोटा से हैं l आप  ब्लॉग लिखती हैं और फेसबुक पर भी साहित्यिक समूहों में सक्रिय हैं l पुस्तकों,पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ,मुक्तक और लघुकथाएँ इत्यादि प्रकाशित होती रहती हैं l

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।