“कभी-कभी बहुत छोटी सी बात ग्रंथि बन जाती है जो बाद में किसी न किसी बीमारी के रूप में बाहर आती है इसलिए मन की बात कह देना बहुत जरूरी है ।आज मौका है आपके लिए अगर आप किसी को सॉरी बोलना चहाते हैं तो घबराएं नहीं, कहकर खुद को […]

जगदंबे-जगजननी जगत की महारानी किये सोलहवों सिंगार भव्य रूप है तुम्हार माथे  टीका  है सजा सिंदुर से मांग है भरा गले  में  हंसुंली  सोहे झूमका मन को मोहे कर में कंगन की चमक कटि-किंकिणी की दमक बोले रुनझुन पायलियां बाजे बिछुआ पैजनियां गुड़हल-सी लाल- चूनरी सबके हृदय बस रही धर […]

ऊपर वाले को ढ़ूंढ़ते मंदिर-मस्जिद में, जबकि बैठा है वो अपने ही दिल में । प्रेम-भाव से ही ईश्वर का नाता है, क्यों फिर मानव आडंबर अपनाता है । भूत, भविष्य, वर्तमान का ज्ञाता है वो, इस संसार का भाग्य-विधाता है वो। प्रभु की दृष्टि में तो सब है एक […]

क्यों रखूं मैं धैर्य ? क्या मिला है मुझे धैर्य रखकर ? अधीर हो किसी ने बुलंदी को छू लिया धैर्य रखकर हमने फिसलते वक्त को देखा धैर्यवान को सब पाठ पढ़ा जाते हैं मानों जैसे उसके अवगुण को दर्शा जाते हैं हाँ नाम मजबूरी का धैर्य को दे जाते […]

एक जन्म से विदा होकर मानव माँ की कोख में आता है, माँ की कोख छोड़ फिर दुनिया में कदम रखता है। फिर कहीं आगमन तो कहीं विदाई यही सिलसिला चलता रहता है, माँ का आंचल छोड़ दुनिया का सामना करना पड़ता है। पलक झपकते ही बालपन विदा होकर,किशोरावस्था से […]

    राही तू चलते चल, टेढ़ी-मेढ़ी  हो डगर रुकना नहीं तू मगर, मंजिल पाना हो अगर। अपना रास्ता खुद चुनना होगा, एक लक्ष्य बनाकर चलना होगा चुनौती को स्वीकार करना होगा, कसौटी पर खरा उतरना होगा अपनी समझदारी दिखानी होगी, मंजिल को आसान बनाना होगा। भूल-भुलैया-सी इन राहों में […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।