मातृभाषा केवल पोर्टल नहीं बल्कि भविष्य में हिन्दी के विस्तार हेतु आंदोलन बनेगा

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|| समाचार विज्ञप्ति ||

मातृभाषा केवल पोर्टल नहीं बल्कि भविष्य में हिन्दी के विस्तार हेतु आंदोलन बनेगा

इंदौर  भाषा के विस्तृत सागर में ‘हिन्दी’ भाषा के प्रति प्रेम और उसी भाषा की लुप्त होने की कगार पर खड़ी विधाएँ खास कर रिपोतार्ज, संस्मरण, पत्र लेखन, लघु कथा, डायरी, आदि को बचा कर नए रचनाकारों और विधा के स्थापित रचनाकारों के लेखन को संग्रहण के साथ-साथ भाषा के पाठकों तक अच्छी रचना उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से अहिल्या नगरी से हिन्दी वेब पोर्टल ‘मातृभाषा.कॉम’ की शुरुआत हुई। मातृभाषा की स्थापना के साथ ही कंपनी अब मातृभाषा हिन्दी के प्रचार- प्रसार और हिन्दी के प्रति जागरूकता बड़ाने के प्रति भी बेहद ज़िम्मेदार बनती जा रही है | उसके लेखकों, कवियों तथा साहित्यकारों आदि कई प्रतिभाओं की रचनाओं को संजोकर एक ही स्थान पर पाठक को सहजता से उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है। इसके लिए इसी क्षेत्र में कई नवीन योजनाएं लाई जा रही है।

इंदौर के  युवा अर्पण जैन ‘अविचल’  द्वारा हिन्दी साहित्य जगत से जनता को सुगमता से जोड़ते हुए भाषा के प्रचार -प्रसार हेतु एक प्रकल्प शुरू किया | हिन्दी के नवोदित एवं स्थापित रचनाकारों को मंच उपलब्ध करवाने के साथ-साथ हिन्दी भाषा को राष्ट्र भाषा बनाने के उद्देश्य से शुरू हुआ इंटरनेट जाल भाषा के विस्तार में मील का पत्थर साबित होगा | वेब जाल के संचालक इंजीनियर अर्पण जैन ‘अविचल’ ने बताया क़ि, भारत में मातृभाषा हिन्दी के रचनाकारों की बहुत लंबी सूची हैकिन्तु समस्या यह है कि उन रचनाओं को सहेजकर एक ही स्थान पर पाठकों के लिए उपलब्ध करवाने में असफलता मिलती है। इस दिशा मेंमातृभाषा.कॉम‘ ने पहल की है,हम इस कार्य को बखूबी करने करेंगे। साथ ही हम आगामी दिनों में विद्धयालय-महाविद्धयालयों में हिन्दी के प्राथमिक ककहरा से लेकर अन्य विधाओं का परिचय करवाते हुए वर्तमान स्थिति को अवगत करवाने के उद्देश्य से कार्यशालाएँ भी लगाएँगे, साथ ही यदि कोई हिन्दी सीखना भी चाहता है तो उसे निशुल्क शिक्षण उपलब्ध करवाएँगे | मातृभाषा केवल एक पोर्टल नहीं बल्कि भविष्य में हिन्दी के विस्तार हेतु आंदोलन बनेगा “

युवा सोच में हिन्दी के प्रति ज़िम्मेदारी निभाना काबिल-ए-तारीफ है , यदि हिन्दुस्तान का हर हिन्दीभाषी केवल अपनी ज़िम्मेदारी ही हिन्दी के प्रति निभाना शुरू कर दे तो निश्चित तौर पर हिन्दी राजभाषा से राष्ट्रभाषा बन जाएगी |
वेबजाल का पता है- www.matrubhashaa.com

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3 thoughts on “मातृभाषा केवल पोर्टल नहीं बल्कि भविष्य में हिन्दी के विस्तार हेतु आंदोलन बनेगा

  1. सादर नमस्ते,
    आपका प्रयास सराहनरीय है।
    मैं गुना म.प्र. का निवासी हूँ एवं आपके इस यज्ञ में आहुति देने का भाव रखता हूँ।
    मेरे लिए जो आदेश हों, कृपया सूचित करें।
    धन्यवाद

  2. नमस्ते …. जय हिन्द
    हिन्दी साहित्य के विकास के लिऐ सराहनीय कार्य और आप के द्वारा किया जा रहा प्रयास को नमन करती हुँ । हिन्दी हमारी मातृभाषा एवं राष्ट्रभाषा है यह हम सभी जानते है फिर भी हम क्षेत्रियता या क्षेत्रीय बोली के लिऐ लड़ते है । सभी भारतीयो को एक सुत्र में जोड़ने के लिऐ हिन्दी भाषा का अमूल्य योगदान है ।
    जय हिन्द । जय हिन्द । जय हिन्द ।

    श्रीमती गीता द्विवेदी

  3. बड़ी अच्छी पहल है। स्वागत है। आपसे तो टंकण त्रुटियों की अपेक्षा नहीं की जा सकती। प्रूफ रीडिंग अच्छी तरह से करें आदरणीय।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।