अश्क बहे मेरे दो नयनों से,
मन की पीड़ा बयां करने को
मन का मैल धुल जाए रे सखी,
अश्रु भरे नयनों के जल से।
बह जाने दो दिल के अरमां,
आंसूओं की धारा बन के
धुल जाने दो सारे मन का मैल,
तुम्हारे अपने अश्रु के जल से।
आँसू तो है आँख का मोती,
दिल का दर्द बयां करती है
आँसू और नयनों की जोड़ी,
दोनों हैं सुख-दुःख की सहेली।
सुख में छलके ख़ुशी के आँसू,
दुःख में बहे पीड़ा की अश्क धार
नैनों से बहे कभी ममता के आंसू,
तो कभी बिछोह के अश्क की धार।
अश्क दिखाते मन की व्यथा,
अश्क सुनाते जीवन की कथा
अश्क तो है अनमोल मोती
क्यों बहाते हो रे मन,इसे व्यथा॥
#विनीता चैल
परिचय : झारखंड राज्य से सम्बन्ध रखने वाली विनीता चैल की जन्मतिथि १५जनवरी १९७७ एवं जन्मस्थान-रामडीह है। आपने इतिहास विषय से स्नातक की पढ़ाई की है। कार्यक्षेत्र आपका परिवार ही है। वर्तमान में झारखण्ड के शहर बुंडू (रांची) में चौक बाजार में निवास है। लेखन आपकी पसंद का काम है। कुछ प्रतिष्ठित दैनिक अखबारों में आपकी रचना प्रकाशित हुई है। लेखन का उद्देश्य रुचि है।
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