गुजरात चुनाव:कौन कितना आस्तिक या नास्तिक ?

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राजा के पास एक गरीब गया,इस आशा से कि राजा से कुछ दान मिल जाएगाl उस समय राजा अपने महल में पूजा कर रहा था और पूजा के बाद भगवान से  प्रार्थना कर रहा था कि,मेरे राज्य  में सबको शांति मिले और सब सुखी रहें और मेरी दौलत कम न हो,लक्ष्मी जी सदा सहाय करेंl गरीब ने जब सुना तो अपने आपसे बोला कि,मैं तो राजा के पास आया था,पर ये तो मुझसे
भी ज्यादा गरीब है और जाने लगा तो राजा आ गयाl पूछा-बिना दान लिए क्यों जा रहे  हैं?,तो गरीब बोला कि,एक गरीब से एक दान मांगने की अपेक्षा उसी से क्यों न मांगूं,जिससे तुम मांग रहे थेl
इस समय चुनाव में राजा,मंत्री,नेता सब भिखारी हैं
,भिखमंगे हैं,और सब दया के पात्र हैंl जैसे गरीब राजा के पास गया था,आज नेता करोड़ों गरीबों से वैसी ही भीख मांग रहे हैं ,और भगवान् के पास जाकर क्या कर रहे हैं,मात्र भीख मांग रहे हैंl मुझे जिता दो,और भगवान से मांगने का अधिकार सबको हैंl दान-भीख किसी की बपौती नहीं हैl आज का राजा सबसे गरीब
है,वह राजपाट पाने चलित और स्थाई भगवान के पास जा रहे हैंl
आज कौन आस्तिक है,और कौन नास्तिक ? जो नास्तिक भी
है,वह भी अपने किसी इष्ट या नेता को अपना सब कुछ मानता हैl कम्युनिस्ट नेता भी लेनिन की मूर्ति के सामने फूल चढ़ाते हैं,पर भारत में ३३ करोड़ देवी-देवता हैं तो भी यह धर्मभीरु देश हैl यहाँ के प्रत्येक कंकर में शंकर हैंl और जब सब कुछ भगवान ने बनाया है और हम भी भगवान के बनाए देवदूत हैं तो सबको सब जगह जाने का अधिकार हैl 
जब राजा को सम्पूर्ण राज्य अपना मानता है और राजा,राज्य-प्रजा को अपना मानता है तो सब आस्तिक

हुएl आज राजा नियम तोड़कर मस्जिद,मंदिर,चर्च और गुरुद्वारा जाता है तब या तो उसे धर्मभीरु कहा जाए,या बहुत आस्तिकl  राजा को अपने ऊपर पूरा भरोसा नहीं या किसी एक धरम पर आस्था नहीं,इस क्या कहा जाए ?
क्या धर्म स्थल आरक्षित या अनारक्षित हो रहे हैं ? यदि हैं,तो हम अभी भी पुरातन काल में जी रहे हैं और नहीं तो सबको सब धर्म स्थल पर जाने से क्यों रोका जाता है या रोका जाएl एक बात समझ में नहीं आती कि,जब भाजपा या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यह कहता  है कि,जो भारत वर्ष में जन्मा है,वह हिन्दू है तो यह समझ में नहीं आ रहा कि-जिसने ४६ वर्ष पूर्व इस भूमि में जन्म लिया,उसे क्या आप हिन्दू नहीं कहेंगें ? अनेक नेताओं के बच्चों की शादी विजातीय हुई और अब उनकी औलाद किस श्रेणी में आएगी,बताएं ? आज एक दल के वरिष्ठतम नेताओं ने अपनी पुत्रियों की शादियां,जिनसे घृणा करते नहीं थकते,उनसे की,तब वे अपनी बच्चियों को कौन-सा धर्म मनवा रहे हैंl
सब नेताओं को अपने-अपने गिरेबान में झाँककर देखना चाहिए कि,हम कहाँ हैं,किसको आप कोस रहे हैं और कौन कितना पवित्र है ? इतिहास पर हर व्यक्ति नज़र डाले तो पाएंगे कि,वह भी किसी-न-किसी जगह कलंकित हैl वैसे कहा जाता है कि,मनुष्य गलतियों का पुंज हैl आज मान लो किसी ने विदेशी स्त्री से शादी कर ली,और विगत पचास वर्ष से भारत में रह रही है,तथा दूसरी पीढ़ी के साथ है तो उसकी नागरिकता या उसके ऊपर संदेह करना कहाँ तक हितकारी हैंl या उन नेताओं की संतानों ने यदि विजातीय शादी कर ली और उनकी संतान वर्णशंकर न मानी जाएगी,जिन्होंने मंदिर-मस्जिद के
योग्य अपने को सुरक्षित नहीं रखा,तो उनको क्या नाम देंगे ?
यदि किसी ने किसी मंदिर में दर्शन किए तो वह अयोग्य और आपने किसी मस्जिद में जाकर उसके अनुरूप पालन नहीं किया तो क्या धर्मवान हैं ? भारत में ख़ास तौर पर कुछ लोग छिद्रानवेशी प्रवृत्ति के होते हैं उन्हें कुछ न कुछ चाहिएl  कुछ दलों में ऐसे लोगों को जानबूझकर रखा जाता है,उनके ऊपर पार्टी का वरदहस्त होता हैl यदि राहुल मंदिर जाता है तो मोदी मस्जिद क्यों जाते हैं ?,मोदी क्यों छिपकर उनसे क्यों मिलकर  पगड़ी बांधते हैं ?राजा को ये सब बाते शोभा नहीं देती,और मोदी इस समय प्रधानमंत्री भी हैंl प्रधानमंत्री होने के नाते उन्होंने कितनी बार लक्ष्मण रेखा का उल्लंघन किया,इसका निर्णय स्वयं लेंl
इस समय चुनाव के कारण सब आस्तिक होते जा रहे हैं,और इसमें कोई बुराई नहीं हैंl कारण कि,भगवान् की शरण में जाकर कुछ लाभ होगा,पर ध्यान रखें कि,भगवान वर्तमान में जनता है जिसे जिताना या हराना हैl कोई भी भगवान मंदिर में से निकल कर मत देने वाला नहीं हैl मजेदार बात कि,सब भगवान सबकी मुरादें पूरी करने वाले नहीं हैंl भैया भगवान किसी का न बनाने वाले हैं या बिगाड़ने वाले हैं,वे तो समदृष्टि हैं,इसीलिए अधिक आस्तिक या नास्तिक न बनेंl जिसने जो कर्म किए हैं,उसका ही  मिलेगाl       
                                                                                          #डॉ. अरविन्द जैन    

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