खांटी खड़गपुरिया

0 0
Read Time1 Minute, 56 Second

tarkesh ojha
मामूली हैं मगर बहुत खास है…
बचपन से जुड़ी वे यादें
वो छिप  छिप कर फिल्मों के पोस्टर देखना
मगर मोहल्ले के किसी भी बड़े को देखते ही भाग निकलना
सिनेमा के टिकट बेचने वालों का वह कोलाहल
और कड़ी मशक्कत से हासिल टिकट लेकर
किसी विजेता की तरह पहली पंक्ति में बैठ कर फिल्में देखना
बचपन की भीषण गर्मियों में शाम होने का इंतजार
और नलों से पानी  भर कर छतों को नहलाना
वाकई मामूली सी हैं लेकिन बहुत खास है
बचपन से जुड़ी वे वादें
बारिश के वे दंगल और बारिश थमने का इंतजार
ताकि दुगार्पूजा का हो सके आगाज
घर आए शादी के कार्ड से ढूंढ कर प्रीतिभोज पढ़ना
तारीख याद रखना
और फिर तय समय पर पांत में बैठ कर भोज का आनंद
सामने रखे पानी के गिलास से पत्तों को धोना
साथ ही नमक और नीबू को करीने से किनारे करना
वाकई मामूली हैं मगर बहुत खास हैं
बचपन से जुड़ी वे यादें
छोटे – बड़ों के साथ बैठ कर
जी भर कर जीमना
मेही दाना के साठ मीठी दही का स्वाद
और फिर कनखियों से रसगुल्लों की बाल्टियों का इंतजार
वाकई मामूली हैं मगर बहुत खास है
बचपन की वे यादें

#तारकेश कुमार ओझा

लेखक पश्चिम बंगाल के खड़गपुर में रहते हैं और वरिष्ठ पत्रकार हैं | तारकेश कुमार ओझा का निवास  भगवानपुर(खड़गपुर,जिला पश्चिम मेदिनीपुर) में है |

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

सोच रहा हूँ

Fri Jun 29 , 2018
एक दिन मेरे दोस्त को, मैं लगा गुमसुम बोला वो, क्या सोच रहे हो तुम बातें बहुत सी हैं सोच रहा हूँ, क्या सोचूँ, बोला मैं। अलग-अलग हैं कितनी बातें क्या-क्या हैं नए सन्दर्भ विषयो की बिबिधता इतनी चुनना बना जी का जाल। दुःख पे जाऊ जो लम्बे समय तक […]

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।