बेहद उदास
असमर्थ-सी
उन बेपरवाह
उबड़-खाबड़
संकरे-चौड़े
घुमावदार
रास्तों से
भागते-दौड़ते
आगे ही आगे
उन्नति के लिए
सिर्फ अपने ही
बिषय में सोचते
उपेक्षित करते जाते
उसमें भरते जाते
जहरीली निशा
निरर्थक और व्यर्थ समझ
उसकी चमक
सौंधी गंध
खो रही है
खो गई है
वो मुस्कुराने की आस में
निहारती है
कुछ और कुम्हला जाती है
पहले से ज्यादा उदास हो जाती है
आसमां में निकल आया है
पूनम का चाँद
चांदनी ने ढँक लिया
उसके दाग को
वो मुस्कुरा रहा है
कितना प्यारा लगता है चाँद
यूँ मुस्कुराते हुए
मुस्कुरा लेने दो उसे
अब वो भी उदास नहीं है
नहीं होना चाहती है वो
अब उदास
चमक उठा है कण-कण
मुस्कुरा जो दी है धरा
चाँद को खुश देखकर
वो पूनम का चाँद
औ धरा निहारने लगती है
फिर से आसमां।
#सीमा `असीम` सक्सेना
परिचय: सीमा `असीम` सक्सेना की उम्र करीब ३९ वर्ष तथा जन्म स्थान-बरेली है। आपकी शिक्षा एम.ए.(संस्कृत तथा इंग्लिश)है। लघु शोध साहित्य पर प्रसार भारती आकाशवाणी से प्रसारण भी हुआ है।आपका कार्यक्षेत्र-आकाशवाणी में आंशिक रूप से कार्यरत होना है। निवास उत्तर प्रदेश के शहर-बरेली में है। ब्लॉग पर भी सक्रिय सीमा `असीम` सक्सेना की ५ किताबें प्रकाशित हो गई हैं,जिसमें काव्य संग्रह ‘ये मेरा आसमां’,`सागर मीठा होना चाहता है` सहित कहानी संग्रह `लिव लाइफ` आदि हैं। एक पुस्तक प्रकाशन की प्रक्रिया में है। आपकी रचनाएं अनेक साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होती हैं। आकाशवाणी-दूरदर्शन पर कविता,कहानी व परिचर्चा आदि में शिरकत करना सहित हिन्दी कविता कोष में आपकी रचनाओं का शामिल होना तथा रंगमंच से जुड़ाव व अपने शहर के अलावा अन्य में नाट्य मंचन के लिए सम्मान मिलना भी उपलब्धि है। सम्मान के रूप में सारस्वत सम्मान,विशिष्ट सरस्वती सम्मान आदि मिले हैं। कविता,कहानी आलेख और उपन्यास आपकी विधा है। लेखन का उद्देश्य है कि,वर्तमान में फैली बुराइयों को दूर कर सकें।