*बेला/मोगरा*

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babulal sharma

भरै पेट जद  चाहत होवै  मोगरा,
पण  रीतै न इमरत  लागै सोगरा।

खसबू, भारी चोखी लागै जीवा नै,
बेल,मोगरा अलबेला,बेला होवैछै।
बात रईसी करै तो भाँया सुणलै रै,
बेला री खसबू कामणियाँ सोवैछै।
काना  माँई  सैन्ट  लगावै  डोकरा।
भरै  पेट जद  चाहत  होवै मोगरा।

राजस्थानी फसल बड़ीछै बाजरो,
थे काँई समझोला  ई सग माजरो।
घणा घणा रिश्ता नाता धरती पर,
सबसूँ चोखो लागै सब नै सासरो।
देवा नै  तो चाव लगै नित भोग रो,
भरै पेट जद चाहत  होवै  मोगरो।

पेट भरण नै सींगर  खाटो सोगरा,
भरै पेट जद दाव चलाणा योग रा।
घर बागाँ  कोयलड़ी रा गीत सुणाँ,
खसबू  लेवाँ  धौला  फूलाँ मोगरा।
भरै  पेट जद  चाहत  होवै मोगरा,
पण रीतै नै इमरत  खाटो सोगरा।

भूखाँ भजन न होय कथी बड़काँ,
भावै  न जूही  चम्पा बेला मोगरा।
धाप्याँ  री परभात  सांझ दौपहरी,
चोखा  नीका  लागै  बूढ़ा डोकरा।
भरै पेट जद  चाहत चम्पा मोगरा,
पण रीतै नै इमरत  सींगर सोगरा।

डोकरा = बुजुर्ग
सोगरा = बाजरे की रोटी
सींगर= खेजड़ी की फली (सब्जी) 
खाटो = कढ़ी

नाम– बाबू लाल शर्मा 
साहित्यिक उपनाम- बौहरा
जन्म स्थान – सिकन्दरा, दौसा(राज.)
वर्तमान पता- सिकन्दरा, दौसा (राज.)
राज्य- राजस्थान
शिक्षा-M.A, B.ED.
कार्यक्षेत्र- व.अध्यापक,राजकीय सेवा
सामाजिक क्षेत्र- बेटी बचाओ ..बेटी पढाओ अभियान,सामाजिक सुधार
लेखन विधा -कविता, कहानी,उपन्यास,दोहे
सम्मान-शिक्षा एवं साक्षरता के क्षेत्र मे पुरस्कृत
अन्य उपलब्धियाँ- स्वैच्छिक.. बेटी बचाओ.. बेटी पढाओ अभियान
लेखन का उद्देश्य-विद्यार्थी-बेटियों के हितार्थ,हिन्दी सेवा एवं स्वान्तः सुखायः

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