जय माँ कुष्मांडा

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niraj tyagi
नवरात्रि का आया प्यार पावन त्यौहार,
आओ पूजे माँ के नो रूपो को बारंबार,
माँ दुर्गे को चौथे दिन जिस रूप पूजा जाता है,
वो रूप माँ का कुष्मांडा कहलाता है,
सुंदर रूप शुशोभित इनकी सुंदर है मुस्कान,
जब सृष्टि नही थी और हर और अंधेरा छाया था,
तब अंड रूप ब्रह्मांड किया उत्पन्न और माँ कुष्मांडा कहलायी।
सृष्टि रचयिया माँ इसी कारण आदिस्वरूपा,आदिशक्ति भी कहलायी
सिंह की माँ करती है सवारी,कुम्हड़े(कुष्मांड) की माँ को बलि बड़ी है प्यारी,
सूर्य समान ही शक्ति तुम्हारी इसलिए सूर्यलोक में माँ रहती प्यारी।
अष्टभुजा धारी माँ का अद्धभुत रूप निराला है,
कमण्डल,धनुष,बाण, कमल,अमृतपूर्ण कलश,चक्र और गदा,
अपने सात हाथ मे धारे है,अष्ट भुजा सिद्धि ,निधि दातक माला है।
चौथी नवरात्रि पर आओ सब इनको मिलकर पूजे भाई,
#नीरज त्यागी
ग़ाज़ियाबाद (उत्तर प्रदेश)

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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