कविता – मीत संग गीत

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आया है ख़त मीत का,
मुझे सुकून से पढ़ने दो।
आ रहे परदेशी सजनवा,
तैयारी मुझको करने दो।

सतरंगी चूड़ी पहनकर,
मुझे प्रीत के गीत गाने दो।
आ रहे वो मेरे साजन,
मेंहदी मुझको लगाने दो।

रंग–बिरंगी चूड़ियों के संग,
कंगना मैं तो पहनूॅंगी।
मंगलसूत्र पहनकर मैं तो,
सिंदूरी माॅंग सजाऊॅंगी।

सावन के झूले को सजाकर,
पिया के संग मैं झूलूंगी।
सात जन्मों का बंधन है यह,
हरदम ही निभाऊॅंगी।

रिमझिम बारिश में साजन संग,
जी भरकर मैं भीगूंगी।
मीत संग गीत गाकर मैं,
ख़ुशियों से दामन भर लूँगी।

#सीता गुप्ता
दुर्ग, छत्तीसगढ़

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कविता - आया सावन

Sat Jul 15 , 2023
आया सावन झूमकर तीज त्यौहार की लाया बहार मंद-मंद जलद मुस्काएँ उमड़-घुमड़ घटा छाएँ अम्बर पर इंद्रधनुष आए। आया सावन झूमकर।। सजी हाथों में मेंहदी पिया संग झूले बावरी सोलह शृंगार से सजी गौरी झूम रहीं कलियाँ सारी आया सावन झूमकर।। धरती ने हरीतिमा की ओढ़ी चुनरियाँ सजनी के हाथों […]

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