सीमा का तिलक करती गाँव की माटी

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avdhesh
शिवजी के धनुष पर विराजमान है काशी और गंगा मैया काशी की अधिकांश सीमा को समेट लेने के लिए धनुषाकार हो गई हैं। दूरियों को मिटाती हुई चन्द्रप्रभा भी मिलन को सदियों से आतुर है। इसकी गोदी में राजदरी और देवदरी के चस्में चंचल बच्चों सरिस उछल कूद रहे हैं। यहीं पर भभौरा गाँव में 10 जुलाई 1951 को क्षत्रिय कुल में एक शिशु का आगमन हुआ। गंगा, चन्द्रप्रभा और विन्ध्य की श्रृंखलाओं से संरक्षित वह शिशु आज भारत वर्ष की रक्षा का गुरुतर दायित्व अपने मजबूत कंधों पर लिए संयमित गर्व से मुस्करा रहा है।
जनता पार्टी के विघटन के उपरान्त 6 अप्रैल 1980 को भारतीय जनता पार्टी का गठन किया गया जो जनसंघ का नवीन संस्करण था। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का कठोर अनुशासन और राष्ट्रवाद जनसंघ की ही भाँति भाजपा में भी स्थानान्तरित हुआ था। भाजपा के लिए देश के प्राय: हर कोने में प्यार था, सम्मान था पर जनमत का अभाव भा। श्रद्धेय अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में श्री लालकृष्ण आडवाणी और श्री मुरली मनोहर जोशी दो भुजाओं की भाँति सहयोगी बने। संसद में एक, दो या तीन उपस्थितियों से संतोष करना पड़ता। इस न्यून गणितीय संख्या के बाद भी अटल जी का कद सदैव ऊँचा रहा। संघर्ष जारी रहा।
इस संघर्ष का दूसरा पहलू यह था कि तपे तपाये कार्यकर्ता संघ की ओर से भाजपा की ओर उन्मुख होते रहे। चन्द्रप्रभा के पावन आँचल का फूल विन्ध्याचल की गोदी में भौतिकी का व्याख्याता बनकर मिर्जापुर के के बी डी सी कॉलेज में कार्यरत था। चन्द्र की प्रभा से सराबोर उगता सूरज जैसा बाबू राजनाथ सिंह। अटल, आडवानी और जोशी से आशीष युक्त थ्री इन वन। जुनून बढ़ता गया, जिम्मेवारियाँ मिलती गईं, कद बढ़ता गया। 1989 में राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार में भाजपा की साझेदारी ने राजनीतिक जनाधार को और मजबूत किया। मंडल ने समाज को और कमंडल ने धर्म -जागृति को ताकत दी। भाजपा का विभिन्न राज्यों और केन्द्र में सत्तासीन और सत्ताच्युत होना अर्थात् सरकार में या विपक्ष में रहते हुए सदन में उपस्थित रहने का अधिकार बना रहा।
भाजपा के राजनीतिक उत्थान के साथ राजनाथ सिंह उत्तर प्रदेश भाजपा इकाई के अध्यक्ष, मुख्यमन्त्री उत्तर प्रदेश, मन्त्री भारत सरकार और भाजपा राष्ट्रीय इकाई के अध्यक्ष पद को सुशोभित किए। सामाजिक परिवर्तन, कांग्रेस के नैतिक पतन और छद्म धर्म निरपेक्षता की अकुलाहट ने 2014 में माननीय राजनाथ सिंह को कुछ बहुत बड़ा विकल्प सोचने पर मजबूर कर दिया। मनमोहन सरकार की आत्ममुग्धता और कुकुरमुत्ते सरिस केजरीवाल के अगमन ने भाजपा प्रमुख होने के नाते राजनाथ सिंह के भीतर के कर्त्तव्य बोध को संयम तोड़ बगावती बना दिया। राष्ट्र के समक्ष मान- अपमान, राग- द्वेष, जय- पराजय इत्यादि को गौण बना दिया। तब भाजपा अध्यक्ष ने राष्ट्र को सुशासन देने हुए संकल्प लिया और इसके लिए जननेता, जनमत और जनादेश की थ्योरी पर काम करने लगे। अध्यक्षीय अधिकार का पूर्ण प्रयोग करते हुए राष्ट्रव्यापी भाजपा की ओर से नरेन्द्र मोदी का नाम प्रधानमन्त्री के रूप में घोषित किये। वरिष्ठों के कोप और कनिष्ठों के बगावत के असर से बहुत आगे निकल चुके थे।
2014 का चुनाव ऐतिहासिक रहा। मोदी के मजबूत हाथों में देश की बागडोर थमाकर अमित शाह को अध्यक्ष बनाकर खुद गृहमन्त्री बने। वाशिंगटन को कहना पड़ा कि भारत में पहली बार भारतीय सरकार बनी है। भारत की अस्मिता और मोदी -मोदी से देश ही नहीं अपितु विश्व गूँज उठा। 2019 का भारी बहुमत 2014 की विजय – बुनियाद पर आधारित है। इस नई सरकार में श्री सिंह ने रक्षामन्त्री का दायित्व लिया है।
बहुमुखी प्रतिभा सम्पन्न माननीय राजनाथ सिंह कर्तव्य का पालन और अधिकार का उपयोग करना भली भाँति जानते हैं। जहाँ एक ओर राजनीति गाली का पर्याय या काजल की कोठरी बनी हुई है, राजनाथ सिंह उसमें भी तपकर सोना से कुंदन बन गए…….. नि:स्वार्थ, निष्कपट, निष्कलंक।  इस कर्मयोगी राजर्षि को वर्तमान प्रणाम करता है और भविष्य गर्व करेगा। धन्य है चन्दौली की माटी और धन्य है इस माटी का सपूत।
परिचय
नाम : अवधेश कुमार विक्रम शाह
साहित्यिक नाम : ‘अवध’
पिता का नाम : स्व० शिवकुमार सिंह
माता का नाम : श्रीमती अतरवासी देवी
स्थाई पता :  चन्दौली, उत्तर प्रदेश
 
जन्मतिथि : पन्द्रह जनवरी सन् उन्नीस सौ चौहत्तर
शिक्षा : स्नातकोत्तर (हिन्दी व अर्थशास्त्र), बी. एड., बी. टेक (सिविल), पत्रकारिता व इलेक्ट्रीकल डिप्लोमा
व्यवसाय : सिविल इंजीनियर, मेघालय में
प्रसारण – ऑल इंडिया रेडियो द्वारा काव्य पाठ व परिचर्चा
दूरदर्शन गुवाहाटी द्वारा काव्यपाठ
अध्यक्ष (वाट्सएप्प ग्रुप): नूतन साहित्य कुंज, अवध – मगध साहित्य
प्रभारी : नारायणी साहि० अकादमी, मेघालय
सदस्य : पूर्वासा हिन्दी अकादमी
संपादन : साहित्य धरोहर, पर्यावरण, सावन के झूले, कुंज निनाद आदि
समीक्षा – दो दर्जन से अधिक पुस्तकें
भूमिका लेखन – तकरीबन एक दर्जन पुस्तकों की
साक्षात्कार – श्रीमती वाणी बरठाकुर विभा, श्रीमती पिंकी पारुथी, श्रीमती आभा दुबे एवं सुश्री शैल श्लेषा द्वारा
शोध परक लेख : पूर्वोत्तर में हिन्दी की बढ़ती लोकप्रियता
भारत की स्वाधीनता भ्रमजाल ही तो है
प्रकाशित साझा संग्रह : लुढ़कती लेखनी, कवियों की मधुशाला, नूर ए ग़ज़ल, सखी साहित्य, कुंज निनाद आदि
प्रकाशनाधीन साझा संग्रह : आधा दर्जन
सम्मान : विभिन्न साहित्य संस्थानों द्वारा प्राप्त
प्रकाशन : विविध पत्र – पत्रिकाओं में अनवरत जारी
सृजन विधा : गद्य व काव्य की समस्त प्रचलित विधायें
उद्देश्य : रामराज्य की स्थापना हेतु जन जागरण 
हिन्दी भाषा एवं साहित्य के प्रति जन मानस में अनुराग व सम्मान जगाना
पूर्वोत्तर व दक्षिण भारत में हिन्दी को सम्पर्क भाषा से जन भाषा बनाना
 
तमस रात्रि को भेदकर, उगता है आदित्य |
सहित भाव जो भर सके, वही सत्य साहित्य ||

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।