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कुछ रंग मेरी तस्वीर
में, जो तुमने भरे थे
सिर्फ वही तो मेरे,
जीवन के सिले थे।
कभी आसमानी कभी
बादल के घनघोर किले,
कभी तारों की टिम-टिम
से, करते इन नैनों की भौर तले..॥
कहीं हम-तुम संग चले थे,
कुछ रंग मेरी तस्वीर में
जो तुमने भरे थे…।
कभी श्याम रंग सो रूप तिहारो
कभी मोर पंखी से रंग घने,
तब ही तो सावन बरसा था
जब तुम, हम से मिले थे..
कुछ रंग मेरी तस्वीर में
जो तुमने भरे थे…
लगी जो जीवन से हारने,
आया वही रंग पुचकारने
न हो तू यूं उदास
जब मैं हूँ तेरे पास
याद कर वो लम्हे..
जब हम तुमसे मिले थे…
कुछ रंग तेरी तस्वीर में
जो हमने भरे थे…।
वही तो मेरे जीवन के सिले थे ॥
#चन्द्रकान्ता सिवाल ‘चन्द्रेश’
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