Read Time2 Minute, 54 Second
सुनो !
ये गीत तुम्हारे लिए है
मेरे मन के हर भाव में,
मैं तुम्हें हूँ पाती।
दीपशिखा की भाँति॥
और जलती हूँ,
जैसे प्रेम जोत की बाती॥
सुनो !!
पाया है तुम्हें मन के हर
अंधेरे कोने में,
कहीं चुपके-चुपके
घुटते रोने में,
पीड़ा बन जाते हो कभी मन की
और विरह की।
तड़प उठती हूँँ मैं
प्रेम अगन में
जैसे पूनम चांदा की राती॥
सुनो!
तुम नहीं जान सकते
मेरे नेह को!
मन में भरे पावन गेह को
वक्त लगेगा,क्योंकिं इस प्रेम परिधि को छूने के लिए करनी होगी, एक तपस्या
अनंत ब्रम्हांड,के उस ओंकार नाद से पानी होगी,
एक अथाह गहरी साँस उच्छवास
जो निरंतर है आती और जाती॥
सुनो!
पाना चाहोगे मुझे,
है इच्छाशक्ति ,तुम में या
बस यूँ पौरुष बल के धारी हो,
जो सोचते हो ,और एक गहरी श्वांस छोड़ देते हो,
मैं हूँ आभा मंडल में घूमती
वो तेजोर्मयी ज्योति,
जिसकी अग्नि तीव्र होती ,
बस पाने की इच्छा है भरमाती
जैसे बारिश की बूंदें संग इंद्रधनुष सुहाती॥
पर पास कभी न आती॥
#सरिता सिंघई ‘कोहिनूर’
परिचय : श्रीमति सरिता सिंघई का उपनाम ‘कोहिनूर’ है। आपका उद्देश्य माँ शारदा की सेवा के ज़रिए राष्ट्र जन में चेतना का प्रसार करना है।उपलब्धि यही है कि,राष्ट्रीय मंच से काव्यपाठ किया है। शिक्षा एम.ए.(राजनीति शास्त्र) है। वर्तमान में मध्यप्रदेश के वारासिवनी बालाघाट में निवास है। जन्म स्थान नरसिंहपुर है। गीत,गज़ल,गीतिका,मुक्तक,दोहा,रोला,सोरठा,रुबाई,सवैया,चौपाईयाँ,कुंडलियाँ ,समस्त छंद,हाइकू,महिया सहित कहानी ,लेख,संस्मरण आदि लगभग समस्त साहित्य विद्या में आप लिखती हैं और कई प्रकाशित भी हैं। आपकी रूचि गायन के साथ ही लेखन,राजनीति, समाजसेवा, वाहन चालन,दुनिया को हंसाना,जी भर के खुद जीना,भारत में चल रही कुव्यवस्थाओं के प्रति चिंतन कर सार्थक दिशा देने में है। पूर्व पार्षद होने के नाते अब भी भाजापा में नगर मंत्री पद पर सक्रिय हैं। अन्य सामाजिक और साहित्यिक संगठनों से भी जुड़ी हुई हैं।
Post Views:
626