जान लें सही अर्थों में
जिंदगी के मायने।
क्योंकि पल भर पहले ही
रही है जो जिंदगी,
उलझते ही
नियति के चक्र में
सुपुर्दे ख़ाक हो जाती है।
देखते ही देखते
राख हो जाती है।
यही है सच्चाई
जीवन की,
पर
समझकर भी नहीं समझते हैं हम
जिंदगी के मायने।
अभी बहुत समय है
कहकर टालते रहते हैं,
लगे रहते हैं
जरूरत से ज्यादा ही
जीवन की आपा-धापी में।
नहीं चेतते हैं,
और
गंवाते जाते हैं
वे न लौटने वाले पल,
जिन्हें हम जी सकते हैं
कुछ अपने लिए तो
कुछ ओरों के हितार्थ।
राख में तब्दील होने से पहले।
अभी भी जितना वक्त है
हमारे पास,
समझ लें जिंदगी के मायने।
करें ऐसे काम
जो राख को हमारी
बदल दे, ‘भस्म’ में,
क्योंकि राख हो जाना तो तय है हमारा।
फिर क्यों न करें प्रयास
बनने का ‘भस्म’, जो
करे अभिषेक शिव का,
जो करे कल्याण जग का।
बदल जाए जिससे-
जिंदगी के मायने हमारे।
#देवेन्द्र सोनी