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सावन का महीना,और पानी की बौछार,
राखी का त्योहार और खड़ी मैं द्वार।
भईया तुम आ जाना …………॥
रेशम के धागों से हमने राखी बनाई,
धागे में चुन-चुन रंगीली मोती पिराई
भईया,रखना मेरी इस राखी की लाज,
और सूनी न रहे अब कलाई तेरी आज।
भईया तुम आ जाना …………..॥
खोए और नारियल की बर्फी बनाई,
चाँदी का बरक और मेवे से सजाई
भईया ,रखना मेरी मिठाई की लाज,
सूनी न रहे हमारी रसोई भी आज।
भईया तुम आ जाना…………॥
हल्दी और चूने से रोली बनाई,
बेले के फूलों से भी माला बनाई
भईया,रखना मेरी थाली की लाज,
सूना न रहे रक्षा बंधन मेरा आज।
भईया ,तुम आ जाना……….॥
#रचना सक्सेना
परिचय : श्रीमती रचना सक्सेना का निवास उत्तरप्रदेश के इलाहाबाद में एलोपी बाग में है। आपकी रुचि गद्य में कहानी,लघुकथा में तो,पद्य में कविता में है। भारत के प्रतिभाशाली हिन्दी रचनाकार पुस्तक में दो कविताएं, भारत की प्रतिभाशाली हिन्दी कवियित्रियां पुस्तक में दो कविताएं सहित काव्य अमृत पुस्तक में भी कविताएं प्रकाशित हुई हैं। इसके साथ ही कई पत्रिकाओं में रचना प्रकाशन हुआ है। आपको साहित्य एवं सांस्कृतिक मंच (हिन्दी साहित्य शोध अकादमी,राजस्थान)से सर्वश्रेष्ठ साहित्य सम्मान मिला है।
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