
आओ मिलजुल जश्न मनाएँ,
स्नेह सुधा चहुं दिस बरसाएँ,
सुख समृद्धि धरा पर लाएँ।
पावन है गणतंत्र हमारा,
राष्ट्र प्रतीक तिरंगा प्यारा,
प्रेम भाव भाईचारा का
त्याग, दया, कर्त्तव्य हमारा।
ऐसे जन-गण-मन के नायक,
कर्मशील के गुण हम गाएँ,
आओ मिलजुल जश्न मनाएँ।
संविधान की ध्वजा त्रिवेणी,
मानवता की गुंथे वेणी,
सप्त सिंधु के इस दोआब में
धवल बने समता की पैड़ी।
जिज्ञासु तन-मन अर्पित कर,
स्वर्ग छटा को भू पर लाएँ,
आओ मिल जुल जश्न मनाएँ।
कमलेश विष्णु सिंह जिज्ञासु
ए – 7/38, मुकीम गंज,
राजघाट, वाराणासी (उत्तरप्रदेश)