प्रीत के उपवन में,
मिलन का मधुमास है।
खिल रही कली-कली,
सुगंध की सुवास है।।
ह्रदय में मचल उठी,
सोई-सी प्यास है।
नयना मतवारे हुए,
प्रेम लिए आस है।।
मादकता बरस रही,
भाव का विलास है।
मचल उठी चंचल-सी
मोह की मिठास है।।
मिलन की रितु छाई,
महक लिए मास है,
मन पंछी बहक उठा,
चहक लिए खास है।।
#सुदामा दुबे
परिचय : सुदामा दुबे की शिक्षा एमए(राजनीति शास्त्र)है।आप सहायक अध्यापक हैं और सीहोर(म.प्र)जिले के बाबरी (तहसील रेहटी)में निवास है। आप बतौर कवि काव्य पाठ भी करते हैं।