Read Time0Seconds
अगर हम सोचें तो जीवन में आनंद तमाम है,
प्रभु प्रीति में जैसे मन बन जाए वृंदावन धाम है।
झूठे जग की माया और झूठी हमारी काया,
शाश्वत सत्य कि जानते हम वो भी गुलाम है।
जीवन उसी का सफल है इस जग में आकर
जिसके जीवन में प्रभु गुण गाना सुबहो- शाम है।
गम ने कभी किसी को नहीं छोड़ा,देखा है हमने,
चाहे कवि आनंद हो फिर चाहे भगवान राम है।
जीवन में हो संतोष,मन में रहे परहित के भाव,
आनंद ही आनंद फिर तो उसके जीवन मे बेफाम है।
केवल अब इतना आप सबसे कहना है मुझको,
आनंद से जीना ही जीवन का सही-सही नाम है।
#आनंद पाण्डेय ‘केवल’
परिचय : आनंद पाण्डेय ‘केवल’ की उम्र 45 वर्ष है और आप सेवनिवृत्त शिक्षक (मुंबई) हैं। मुंबई में निवास है,पर पैतृक निवास उत्तरप्रदेश के आजमगढ़ में है। आप कार्यक्षेत्र के रुप में मुंबई में कम्पनी में कार्यकारी संचालक के तौर पर सक्रिय हैं। लेखन में रुचि है और पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित होती हैं। मात्र एक वर्ष का लेखन अनुभव है और भावों की तुकबंदी पर अधिक लिखते हैं। तबला वादन में स्नातक होने के साथ ही कुछ अन्य उपलब्धियां भी पाई हैं। कवि मित्रों की रचनाएँ पढ़ने का चिंतन तथा मनन करना आपको अच्छा लगता है।
0
0
Post Views:
215
भाई आनंद जी ,कविता मन को छूती है ।✍ रचना के लिये बधाई…।