जुगनुओं की तरह, टिमटिमाते रहो। तिरगी ज़िन्दगी से, मिटाते रहो।। ज़ख्म भी हैं बहुत, दर्द भी कम नहीं। अश्क पीते रहो, मुस्कुराते रहो।। मयकशों से तमन्ना , करे मयकदा। तिश्नगी हर दिलों की, बुझाते रहो।। ग़म की रातें, अंधेरों के साये घने। इक चरागे मुहब्बत, जलाते रहो।। इसमे शोले भी […]

  बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़ फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फ़ेलुन 2122 1122 1122 22 फ़र्क हिन्दू में मुसलमाँ में बताना चाहें असलियत में वो यहाँ आग लगाना चाहें। नफरतों की ये लगी आग, बुझेगी कैसे जब सियासत ही इसे और बढ़ाना चाहें। दौर बदला तो यहाँ तौर, बदलते देखे अब […]

अवसरों का लाभ लो तुम               समय को पहचान कर। बहुमूल्य जीवन के सभी              ऋतुओं को अपना मान कर||                  तुम श्रेष्ठ कृति हो ब्रह्म की           […]

अश्रु!  कितने  प्रकार  के  भाव  उत्पन्न करते हैं? दया? क्रोध? नफरत? आनंद? वात्सल्य?शोक? करुणा? गर्व? कायरता? न जाने अश्रु क्या क्या  करता हैं? रोते हैं  स्वार्थ सिद्ध के लिए. रोते   हैं   दया प्राप्त करने. रोते   हैं  शोक प्रकट करने? रोते हैं आनंद के लिए. रोते  हैं गलतीछिपाने […]

मयकदों का भरोसा नहीं,मयकशी का भरोसा नहीं, आशिकों का भरोसा नहीं,आशिकी का भरोसा नहीं। तपते सूरज से लो आग तुम,उसके जैसे जलो उम्रभर, खुद से रौशन करो राह को,तीरगी का भरोसा नहीं। उनकी मासूमियत पे न तुम,ऐसे इतराओ यूँ दोस्तों, लूट लेती है चैन-ओ-सुकूँ,सादगी का भरोसा नहीं। ले के दर-दर […]

मैं तेरा जीवन बन जाऊं तू मेरा जीवन बन जा, मैं तेरा साधक बन जाऊं तू मेरा साधन बन जा। साँझ-सबेरे हर महफ़िल में,करता रहूँ तेरे चर्चे, मैं तेरा वाचक बन जाऊं तू मेरा वाचन बन जा। तुझसे ही मेरी कविता है,तुझसे ही मेरे नगमे, मैं तेरा गायक बन जाऊं,तू […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।