आत्मकथ्य

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pradeep sinh
मेरे विकलांग होने से
घर और दादी कभी अकेले नहीं होते
मेरे विकलांग होने से
मां समझ गई है फर्क
सपने और हकीकत का
मेरे विकलांग होने से
पिता के
दांये हाथ की जिम्मेदारियां
और बढ़ गई हैं
मेरे विकलांग होने से
भाई ने पाया है
एक अनोखा आत्मविश्वास
अकेले ही जूझना
जिन्दगी की मुश्किलों से
मेरे विकलांग होने से
कुछ लोग
वक्त की तेज रफ्तार से थककर
मेरे पास सुस्ताने आ बैठते हैं
जिन्हें जमाने ने
मेरी मित्रता का तमगा पहना दिया गया है
जबकि मेरे विकलांग होने पर भी
नहीं हो पाता हूं
मैं विकलांग
मैं उड़ता हूं पंछियों के साथ
बहता हूं नदी और हवा में
भटकता हूं अपने आकाश में बादल बनकर
मैं अंधेरे का दीपक हूं
और दीपक तले अंधेरा भी
अगर तुम सोचते हो
कि फिर भी विकलांग हूं मैं
तो तुम्हारी सोच को जरूरत है
मेरी व्हीलचेयर की…

नाम-प्रदीप सिंह
साहित्यिक उपनाम- नही है
वर्तमान पता- हिसार(हरियाणा) 
राज्य- हरियाणा
शहर- हिसार
शिक्षा- दैहिक सीमाओँ के चलते स्कूली शिक्षा नही ले सका
कार्यक्षेत्र- सहित्य
विधा – काव्य
प्रकाशन- 2015 में कविता संग्रह ‘थकान से आगे’ बोधि प्रकाशन जयपुर से प्रकाशित एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित
सम्मान- DPF-3(दिल्ली पोएट्री फेस्टिवल-3) में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा युवा श्रेणी में सम्मानित
ब्लॉग- नहीं है
अन्य उपलब्धियाँ- कुछ कविताएं उर्दू में अनुवादित एवं प्रकाशित
लेखन का उद्देश्य- समाज में एक नई सोच का प्रारंभ हो सके

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।