ऐसा कुछ तो है मुझमें,
ऐसा कुछ, कुछ,…कुछ, कुछ,
कुछ तो है मुझमें,यकीनन
कि, लोग मुझसे जफ़ा तो नहीं करते
वफ़ा करते तो हैं….
मगर फिर भी..
वफ़ा की इन्तेहा तक तो
वफ़ा नहीं करते, (शायद)।
यह यादों का भी कैसा कारवां है,
रुकता भी नहीं,बिछुड़ता भी नहीं।
तू हो न हो तन्हा,
जा,
हमारे साथ तो तेरी यादें हैं।
आरजू नहीं मुक्कम्मल हो जिंदगी मेरी,
तू जिसमें खुश रहे ,उसमें रजा मेरी॥
#पुखराज छाजेड़
परिचय : जयपुर के निवासी पुखराज छाजेड़ करीब 10 वर्ष से लगातार लेखन में सक्रिय हैं। जयपुर(राजस्थान) में व्यवसायी होने के बाद भी बतौर रचनाकार आप सतत सक्रिय हैं।
वाह पुखराज जी बहुत खूब,,,उम्दा लेखन है बहुत…अति सुंदर