बेटी की माँ

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rajlaxmi
     वह बहुत सुंदर  थी। शादी हुई और दो बेटियों की माँ बन गई। ‘वंश कैसे चलेगा,तेरा तो एक ही बेटा है,’अड़ोसन-पड़ोसन उसकी सास से बोलती।
       ‘अरे बेटा भी हो जाएगा।’,सास उनसे बोलती,पर सास ने
कभी उसे उलाहना न दी।
    एक दिन उसने बेटे से कहा-‘तूने एक और शादी कर ली है।’
‘हाँ,मुझे एक बेटा चाहिए था पर
मैंने उसे मना लिया है। अपने परिवार
को मैं ही संभालूँगा।’
       उसे भी पता चल गया,पर करती भी
क्या? दो बेटियों का साथ था।
        अम्मा जी भगवान को प्यारी हो
गई। बड़ी बेटी की शादी हुई। दो बच्चों
को साथ लेकर वह माँ के पास आ गई। उसने पति को मना लिया कि
छोटी बहन और माँ  अकेले रहती हैं।
      इधर दूसरी पत्नी को बेटा हो चुका था। छोटी बेटी को अभिनय का शौक
था, सो वह मुम्बई  चली गई।
      एक दिन अचानक वो कुछ दिन की बीमारी के बाद मृत्यु को प्राप्त हुई।
रिमझिम बारिश हो रही थी। मुझे लगा
कितनी पीड़ा सही होगी कि,आज आसमान भी फूल बरसा रहा है इस पर।
 वाकई नारी तू अजेय है,कोई भी पीड़ा
तुझे हरा नहीं सकती….।
                                                                            #डॉ.राजलक्ष्मी शिवहरे

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