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तासीर हर शब्द की
गहरी और अलग है,
कहीं जमीं,कहीं फलक है
कुछ ख्वाब हैं यहाँ,
कुछ सुरखाब हैं।
पेड़ भी हैं पत्ते भी,
कलियाँ हैं कुछ
फूलों के इंतज़ार में,
मौसम-ए-बहार में
क्या-क्या है यहां,
कितना बताऊँ
कभी घड़ी भर मिले
तो बतलाऊँ।
ऊपर से जो दिखे,
जिंदगी वैसी नहीं होती
नीचे उतर दिखती है,
माटी की कीमत
जिस्म से सदा
ज्यादा होती है,
मौत पर जिंदगी
माटी के आगोश में
हर पल सोती है।
#अरुण कुमार जैन
परिचय: सरकारी अधिकारी भी अच्छे रचनाकार होते हैं,यह बात
अरुण कुमार जैन के लिए सही है।इंदौर में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में लम्बे समय से कार्यरत श्री जैन कई कवि सम्मेलन में काव्य पाठ कर चुके हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त सहायक आयुक्त श्री जैन का निवास इंदौर में ही है।
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Fri Jul 21 , 2017
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