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डगमग-डगमग करती चली,
बरसात में कागज की नाव।
बचपन की याद दिलाती ये,
बहती हुई कागज की नाव॥
कौन जीतेगा , कौन हारेगा,
लगाते नावों पर ऐसे दांव।
बहती रहती बिना पतवार,
खेल-खेल में दूर करते तनाव॥
मुश्किलों में भी डटे रहना,
सिखाती है हमें बहती नाव।
जिंदगी का यही एक सबक,
कभी धूप है तो कभी छांव॥
#गोपाल कौशल
परिचय : गोपाल कौशल नागदा जिला धार (मध्यप्रदेश) में रहते हैं और रोज एक नई कविता लिखने की आदत बना रखी है।
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