आरक्षण

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netrapal
आरक्षण की आग से मत किसी से
खिलवाड़ करो,
धर्म जाति के आरक्षण पर
मिलकर पुनर्विचार करो।
जब तक धर्म-जाति पर,
आरक्षण का प्रबंध नहीं होगा..
तब तक भारत में जातिगत
भेदभाव बंद नहीं होगा।
कितने सवर्ण दिखा दूँ ऐसे,
जिनके घर में खाना नहीं है..
गरीब ब्राह्मण भूखा मर जाता
घर में अनाज का दाना नहीं है।
गुजरात में पाटीदार तो,
राजस्थान में गुर्जर मांग रहे..
हरियाणा के जाट इसी को
जंतर मंतर पर मांग रहे।
दें दें बसों में आग और
सड़कों को यह जाम करें,
कुछ आरक्षणकारी रेल की,
पटरी लेकर भाग रहे हैं।
आरक्षण की आग कहाँ तक
फैली है,यह दिखाता हूँ..
एक व्यंग्य अनुसार कुछ
आपको सुनाता हूँ।
एक बार इसरो के वैज्ञानिक अंतरिक्ष में
एक मिशन भेजना चाहते है
इसी के लिए सभी राजनेताओं से
कुछ सुझाव मांगते हैं-
समूह तीस लोगों का
भेजना है,
वहाँ से कुछ जानकारी
सहेजना है।
केवल तीस लोगों का जाना सुनकर
राजनेता चक्कर में आ गए,
वैज्ञानिकों से बोले कि,शायद तुम
धोखा खा गए।
हमारा देश धर्म-जाति का सागर है,
कैसे संतुलन बने समूह तो
एक छोटी-सी गागर है।
फिर भी एक बड़े नेता ने
सुझाव दिया,
जातिगत संतुलन संभालने का
काम किया।
पांच पिछड़े भेजने हैं,
चार दलित भेजने हैं..
तीन नारी भेजकर उनका
सम्मान बढ़ाना है,
चार अल्पसंख्यक भेजकर
उन्हें भी हक़ दिलाना है।
२ पारसी,२ बौद्ध
२ सिखों का जाना होगा,
१ सांसद के कोटे से
सिफारिश-पत्र लाना होगा
४ सवर्ण भेजकर जातिगत
संतुलन सुधर जाएगा।
वैज्ञानिक बोले-बगैर योग्यता के
सारा खेल ही बिगड़ जाएगा।
२ लोग योग्य भेज दो,
अभी तो सीट खाली है।
पता नहीं,भारत में लागू
आरक्षण प्रणाली है।
हमें तो सब देखना पड़ता है,
सिर्फ योग्यता से देश नहीं चलता है।
पिछड़े पिछड़ न जाएं,
अल्पसंख्यक बिछड़ न जाएं।
सब धर्मों को साथ लेकर चलना है,
हमें भी आगे चुनाव लड़ना है।
मिशन भेज दिया नेताओं का,
चुनावी मेल हो गया..
अफ़सोस बगैर योग्यता के,
अंतरिक्ष में मिशन फैल हो गया।
अब कोई मिशन फैल न हो,
ऐसी नीति तैयार करो..
धर्म,जाति के आरक्षण पर,
मिलकर पुनर्विचार करो।
                                                                                        #नेत्रपाल राघव
परिचय : नेत्रपाल राघव सामाजिक दिक्कतों पर अधिक लिखते हैं। इनका निवास जहांगीरपुर मांट मथुरा वृन्दावन में है। वर्तमान में हिन्दी भाषा में स्नातक की पढ़ाई जारी है। किसान के बेटे नेत्रपाल वीर व करुण रस में कविता रचते हैं। लेखन के लिए वाराणसी से दो बार सम्मान मिला है। कुछ सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।

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