मत सुना चाँद-सितारों की कहानी

0 0
Read Time2 Minute, 1 Second

arun pande

 

तुझको ऐ ज़िन्दगी,इक रोज़ मैं छल जाऊँगा,

मौत का हाथ पकड़  लूँगा निकल जाऊँगाl

 

सोने-चाँदी के हज़ारों से न सींचो मुझको,

मैं ग़रीबों की दुआओं से ही पल जाऊंगाl

 

बंद मुट्ठी का भरम आप बनाए रक्खें,

और कुछ रोज़ उम्मीदों में बहल जाऊंगाl

 

मत सुना चाँद सितारों की कहानी मुझको,

कोई बच्चा तो नहीं हूँ जो बहल जाऊंगाl

 

मुझसे टकरा के लहर ने जो कहा है सागर,

मैं अगर तुमसे कहूँगा तो बदल जाऊंगाl

 

शहर की रोशनी आँखों में चुभा करती है,

जेहन से गाँव मिटा दूँ तो मैं जल जाऊँगाl

 

बस इसी सोच में महबूब को देखा ही नहीं,

गौर से देख लूं उसको तो मचल जाऊंगाl

                                                 #अरुण कुमार पाण्डेय’अभिनव अरुण

परिचय: अरुण कुमार पाण्डेय लेखन के लिए `अभिनव अरुण` नाम से पहचाने जाते हैंl वाराणसी(उ.प्र.) के  निराला नगर (महमूरगंज) में रहते हैंl  आपका जन्म १७ जनवरी १९७१ में  गाज़ीपुर (उत्तरप्रदेश) का हैl हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर श्री अरुण  के दो ग़ज़ल संग्रह `सच का परचम` एवं `बादल बंद लिफ़ाफ़े हैं` तथा एक काव्य संग्रह `मांद-सी बाहर’` प्रकाशित हैl  ‘इसके अतिरिक्त कई साझा संकलनों सहित विभिन्न  पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित हैंl साहित्य,पत्रकारिता एवं प्रसारण में आपकी समान रूप से पिछले पच्चीस वर्षों से सक्रियता कायम हैl सम्प्रति रूप से आकाशवाणी(वाराणसी)में वरिष्ठ उदघोषक हैंl 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

वतन की शान वाला...

Tue Jul 11 , 2017
की ख़यालों में उजाला है वतन की शान वाला है, हुकूमत के गुरों की बंदगी आज़ान वाला है। नसीहत दे रहा है वो नसीहत को निभाएगा, कहे दुनिया भरोसे का अज़ी एहसान वाला है। मनाता है नहीं वो ज़श्न दिलों को जोड़ता है वो, कभी लंदन कभी यूरोप जाता मान […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।