तुझको ऐ ज़िन्दगी,इक रोज़ मैं छल जाऊँगा,
मौत का हाथ पकड़ लूँगा निकल जाऊँगाl
सोने-चाँदी के हज़ारों से न सींचो मुझको,
मैं ग़रीबों की दुआओं से ही पल जाऊंगाl
बंद मुट्ठी का भरम आप बनाए रक्खें,
और कुछ रोज़ उम्मीदों में बहल जाऊंगाl
मत सुना चाँद सितारों की कहानी मुझको,
कोई बच्चा तो नहीं हूँ जो बहल जाऊंगाl
मुझसे टकरा के लहर ने जो कहा है सागर,
मैं अगर तुमसे कहूँगा तो बदल जाऊंगाl
शहर की रोशनी आँखों में चुभा करती है,
जेहन से गाँव मिटा दूँ तो मैं जल जाऊँगाl
बस इसी सोच में महबूब को देखा ही नहीं,
गौर से देख लूं उसको तो मचल जाऊंगाl
#अरुण कुमार पाण्डेय’अभिनव अरुण
परिचय: अरुण कुमार पाण्डेय लेखन के लिए `अभिनव अरुण` नाम से पहचाने जाते हैंl वाराणसी(उ.प्र.) के निराला नगर (महमूरगंज) में रहते हैंl आपका जन्म १७ जनवरी १९७१ में गाज़ीपुर (उत्तरप्रदेश) का हैl हिन्दी साहित्य में स्नातकोत्तर श्री अरुण के दो ग़ज़ल संग्रह `सच का परचम` एवं `बादल बंद लिफ़ाफ़े हैं` तथा एक काव्य संग्रह `मांद-सी बाहर’` प्रकाशित हैl ‘इसके अतिरिक्त कई साझा संकलनों सहित विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित हैंl साहित्य,पत्रकारिता एवं प्रसारण में आपकी समान रूप से पिछले पच्चीस वर्षों से सक्रियता कायम हैl सम्प्रति रूप से आकाशवाणी(वाराणसी)में वरिष्ठ उदघोषक हैंl