कैसे भुलाओगे मुझको

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sonu
तलाशोगे खुद में तो पाओगे मुझको,
भला सबसे कब तक छुपाओगे मुझको।
तुम्हीं तो हो मेरी मोहब्बत की मंजिल,
मैं देखूँगा कब तक रुलाओगे मुझको।
नहीं भूल पाया वो वादे वफ़ा के,
बताओ तो कैसे भुलाओगे मुझको।
नहीं नींद आती है आँखों में अब तो,
मगर एक दिन तो सुलाओगे मुझको।
ये ‘सोनू’ तो भूला है हँसना-हँसाना,
तुम्हीं वो हँसी फिर हँसाओगे मुझको।
                                                     #सोनू कुमार जैन

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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