जिसको देखो वही शख़्स खोया हुआ, दर्द सबके दिलों में है बोया हुआ। तेरे आग़ोश में आ गया होश में, एक ज़माने से मैं तो था सोया हुआ। तेरे दिल में तो पहले से ही दर्द था, अब तो चेहरा भी लगता है रोया हुआ। मुझको दीवाना-ए-ग़म वो कहने लगे, […]

तुम्हें भी हो गई नफ़रत,छुपाओ मत बहानों में, मेरा भी दिल नहीं लगता है,अब ऊँचे मक़ानों में। तुम्हारा साथ जब तक था,ग़रीबी में भी हँसते थे, जुदा होकर ख़ुशी मिलती नहीं हमको ख़ज़ानों में। तुम्हारे दूर जाने से मज़ा आता नहीं हमको, दीवाली के पटाख़ों में,मिठाई में,मखानों में। तुम्हारा ईद […]

जग को निहारने का सौभाग्य मिला, मातृत्व का जब वरदान मिला। ईश्वर जैसा मुझे सहारा मिला, जब माँ की ममता का आसरा मिला। आँचल में छुपकर भूख-प्यास सब मिटी, माँ का जब मुझे दुलार मिला। सबकी बुरी नजरों से मुझे बचाती, माँ से ही मुझे अपनापन मिला। सुकून से सो […]

जो ज़िन्दा था ज़माने में,उसी को मार आए हो, बहुत नादान लगते हो,सभी कुछ हार आए हो। ग़रीबों पर दया करते,बुज़ुर्गों की दवा करते, ख़ुदा को भूलकर मस्जिद में अब बेक़ार आए हो। ज़रा-सा शायरी करना सुख़नवर से नहीं सीखा, अभी से शोहरतें पाने भरे दरबार आए हो। जिसे यारों […]

ज़माने भर की तकलीफ़ें बहुत तकलीफ़ देती हैं…, अभी ग़ुरबत की ये कीलें बहुत तकलीफ़ देती हैं…। ये रोते हैं,बिलखते हैं,तड़पते हैं,सिसकते हैं…, भूखे बच्चों की ये चीखें बहुत तकलीफ़ देती हैं…। अभी फ़ुटपाथ पर रहते हैं जिनका घर नहीं कोई…, सुनो,बरसात की बूँदें बहुत तकलीफ़ देती हैं…। किसी के […]

किसी के चाहने से कब कोई भी काम होता है, यहाँ जो त्याग करता है, उसी का नाम होता है…। यहाँ संसार में सबको विषय भोगों ने तड़पाया, जो चारों दान करता है, उसे आराम होता है…। अभय का दान परभव के दुखों का नाश कर देता, शास्त्रों के दान […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।