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प्रकृति और
पुरूष का मिलन है,
एक संजोगl
माता-पिता की कृपा से,
हमारा जन्म,
एक योगl
उनके आशीष से,
हमारा जीवन है,
सदा निरोगl
हम बच नहीं सकते,
सुख-वैभव से,
वह है,समकाल का भोगl
जन्म से उत्तरकाल तक का,
जीवन है,एक आनन्द,
अति सुन्दर जोगl
देह से आतम का,
निकलना है,परमात्मा से,
एकाकार होने का योगl
#डा. महेशचन्द्र शांडिल्य
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