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अंकों की पगडंडी पर
उम्र भले तमाम हुई हो,
तुम-तो बचपन की गिनती का
पाठ नया शुरु करना॥
चेहरे पर बलखाई सलवटें
जब नजर आने लगें,
कांच के मर्तबान में
सुर्ख गुलाब लगा लेना॥
हर आंधी में टूटा पत्ता
भी तो कभी हरा था,
बस उन यादों के सहारे
सावन-सा अहसास जगा लेना॥
चिंता,चिता का
सबब होती है ‘कार्तिकेय’,
इसे आस्तीन का
सांप बनाकर मत रखना॥
#कार्तिकेय त्रिपाठी
परिचय : कार्तिकेय त्रिपाठी इंदौर(म.प्र.) में गांधीनगर में बसे हुए हैं।१९६५ में जन्मे कार्तिकेय जी कई वर्षों से पत्र-पत्रिकाओं में काव्य लेखन,खेल लेख,व्यंग्य सहित लघुकथा लिखते रहे हैं। रचनाओं के प्रकाशन सहित कविताओं का आकाशवाणी पर प्रसारण भी हुआ है। आपकी संप्रति शास.विद्यालय में शिक्षक पद पर है।
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Mon Jun 26 , 2017
जीवन का सफर ही एक जिन्दगी है, जन्म से मुत्यु तक जीवन का सफर चलता रहता है। टेढ़े-मेढ़े रास्तों से होकर गुजरता है, सुख-दुःख यहाँ पल-पल में आते जाते,बदलते हैं। मोह माया भरी ये जिन्दगी चलती है, गरीबी अमीरी की करवट बदलती है, बचपन,जवानी बुढ़ापा ये हर किसी में आता […]