पापा…

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पापा वट वृक्ष है,घनी छाया है,
पापा आत्मविश्वास है,मेरा साया है।

पापा मेरे ख़ास हैं,मेरा संबल हैं,
पापा मेरे बॉस हैं,मेरा मनोबल है।

पापा मेरी दुनिया है,वो महान है,
पापा मेरी आन है,मेरा सम्मान है।

पापा की फटकार में भी प्यार है,
पापा मेरे आदर्श हैं,वो सदाचार है।

जब मुझे कुछ होता है,
दिल उनका रोता है,
मेरी ख़ुशी से वो खुश हो जाते हैं..
पापा आप बहुत याद आते हैं।

मेरे आंसूओं से उनकी
आँखें नम हो जाती हैं,
पापा आज भी आपकी
बहुत याद आती हैं।

न जाने आज आप कहां खो गए,
खुली आँखों से आज आप सो गए
कैसे हो-कहां हो,कुछ बताते नहीं ?
अपना दुःख कभी जताते नहीं।

पापा ने खुद के लिए कोई
कमीज कभी नहीं ली,
मुझे नए कपड़े दिलवाने में
कोई कमी नहीं की।

आज मेरा दिल आपको आसमां में निहारे,
कहां चले गए रो-रोकर दिल पापा-पापा पुकारे।

जब मैं लड़खड़ाता था तो
मुझे सँभालते थे,
कभी पीठ पर बैठाते तो
कभी गले लगाते थे।

कभी आप मुझे मक्कार-नकारा कहते थे,
लेकिन बिन मेरे आप एक पल नहीं रहते थे।

आखिर अब क्या हो गया पापा?
वो समय कहां खो गया पापा?

पापा आप बहुत याद आते हो,
आज आप की कमी खल रही है
बिन आपके मेरी जान निकल रही है।

पापा मेरे लिए सबकुछ थे,हैं और रहेंगे,
आपने मेरी ऊँगली छोड़ दी,इसे आप क्या कहेंगे?

क्या कसूर था मेरा पापा,इतना तो बता देते?
झूठा ही सही,मगर पापा प्यार जता देते।

पापा आप मेरे भगवान हैं,
आप महान थे महान है।

राह तकते-तकते मेरी आँखें
पथरीली हो गई,
होंठ शुष्क काया नीली हो गई।

पापा आप बहुत याद आते हो,
पापा आप बहुत याद आते हो।

                                                                       #डॉ. मंगलेश जायसवाल
 
परिचय : डॉ. मंगलेश जायसवाल ने प्राथमिक शिक्षा के बाद ‘कबीर और तुलसी के मानववाद का तुलनात्मक  अध्ययन’ विषय पर पीएचडी की है। आपने एमएससी और एमए (हिन्दी-संस्कृत) के साथ ही एम.एड.और बीजे (पत्रकारिता) भी कर रखा है। आप अध्यापक हैं और मध्यप्रदेश के कालापीपल में रहते हैं।अनेक पुरस्कारों-सम्मान  से देश-प्रदेश में सम्मानित हुए हैं। कई पत्र-पत्रिकाओं में कहानी-कविता छपती है तो,मंचों पर कविता पाठ(ओज) भी करते हैं। आप मूल रुप से कालापीपल मंडी( जिला शाजापुर,म. प्र.)के हैंऔर वर्तमान में मकान न. 592 प्रेम नगर, मंडी सिहोर(जिला सिहोर) में ही निवास है।

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2 thoughts on “पापा…

  1. बहुत खूब सर
    Father’s day पर बहुत खूब रचना लिखी

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।