आज खत में दिखा

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purnima rai

प्यार की कब मिटी कहानी है,

पास अब भी तिरी निशानी है॥

प्यार कुदरत से’ कर लिया जब से,

हर लम्हें में दिखे जवानी है॥

आज खत में दिखा तिरा चेहरा,

रूह अब भी तिरी दिवानी है॥

बूँद पानी-सा’ बन गया जीवन,

संग तेरे ही यह रवानी है॥

ये शमाँ जल रही हवाओं में,

साँझ आई बड़ी सुहानी है॥

हीर-राँझा अमर हुए जग में,

‘पूर्णिमा’ यह कथा पुरानी है॥

                                                                                #डॉ.पूर्णिमा राय

परिचय: डॉ.पूर्णिमा राय साहित्यिक गतिविधियों से सक्रियता से जुड़ी हुई हैं। आपका बसेरा अमृतसर में घुमान रोड के मेहता चौंक में है।

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