कैसे कहें !

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madhu pandey
जो  वीर  जवान  सीमा  पर  तैनात   रहें
उन बलिदानों की कथा भला कोई कैसे कहे
कैसे कहें , मां की  ममता भरी वेदना
जो अपने लला के लिए अश्रु में डूबी  रहे
हर होली और दीवाली लाल की राह तके
मुख चन्द्र ललन का देखने को नैना न थके
किस मुंह से उस बहन का इंतजार कहे
जो भाई की भोली छवि को ना भूल सके
 हर राखी पर  भाई की  कलाई याद  करे
जिस भाई  के हाथों  में सदा  बंदूक सजे
वो पिता छुपाए अश्रु कभी ना छलकाए
 है बेटा सरहद पर अडिग गर्व अति हर्षाए
जिस पिता का पुत्र निज देश हित में कार्य करे
उस  पिता  की गरदन  गर्व  से हरदम उठी रहे
उस पत्नी की उत्कट इच्छा को कैसे लिखें
जो प्राण-पति को नज़र भर भी ना देख सके
उन गोरी कलाई पर कंगन उसे ही चिढ़ाने लगे
किसके  लिए करे श्रृंगार  बावरी पूछे खुद से
 फिर एक दिन दुसह खबर कान को पिघला दे
जब  लिपट  तिरंगे  में ही  अतिथि  घर  आए
भारत के लाल ने भले प्राण न्योछावर कर दी
आने वाली पीढ़ी में एक नई जोश भी भर दी
अब देश के दुश्मन तुझको सबक सिखाएंगे
हर  मां के सच्चे सपूत में ये ज्वाला भड़केंगे
हम बन प्रहरी सीमा पर मां की लाज रखेंगे
 हम शान में देश के काट सर का ताज रखेंगे!!!
#मधु पांडेय
परिचय:

नाम  – मधु पांडेय 
साहित्यिक उपनाम – मृदुला 
जन्मतिथि –  17 मई 19- 80
वर्तमान पता – अनिल नगर, चितई पुर वाराणसी 
शिक्षा – ग्रेजुएट इतिहास ऑनर्स 
कार्य क्षेत्र -हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत
विधा – श्रृंगार रस,प्राकृतिक सौंदर्य, सामाजिक भ्रष्टाचार
अन्य उपलब्धियां- संगीत क्षेत्र में कई

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

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