‘बाबुल’

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धीरे बोलो गुस्सा मत करो,
मुस्कराते रहो ये सब तुम सिखा गए।

विद्या का ज्ञान संस्कारों का पाठ,
सिखाकर डोली में विदा कर गए।
बाबुल तुम छोड़कर कहाँ चले गए..॥

त्याग,ममता,स्वाभिमान
से जीना सिखा गए ,
आत्मग्लानि से परे सर उठाकर,
जब हम जीना सीख गए,
बाबुल तुम फिर भी छोड़कर चले गए..॥

आपकी आत्मा की शांति,
पारिवारिक ऊँच-नीच को भूल,
हँसकर हर घूंट पीना सीख गए,
फिर भी दिल भर आता,
बाबुल तुम हमेशा के लिए छोड़कर चले गए..॥

                                                                                 #प्रेरणा सेंद्रे 

परिचय: प्रेरणा सेंद्रे  इन्दौर में रहती हैं। आपकी शिक्षा एमएससी और बीएड(उ.प्र.) है। साथ ही योग का कोर्स(म.प्र.) भी किया है। आप शौकियाना लेखन करती हैं। लेखन के लिए भोपाल में सम्मानित हो चुकी हैं। वर्तमान में योग शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं।

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