अनंत किस्सा

0 0
Read Time2 Minute, 10 Second

दरअसल किस्सा वहीँ से शरू हुआ
जब प्रेम में भीगे दो मनुष्यों का मिलन हुआ
और आबाद होने लगी ये दुनिया

दो पत्थरों का प्रेम ही था वह शायद
जो चमक उठा था घर्षण के साथ
आँसुओं के निर्माण से पहले
आक्सीजन और हायड्रोजन में भी
प्रेम की आहट हुई होगी जरूर

बीज को मिटटी और नमी का जब मिलता है प्रेम
तो धूप में हरी पत्तियाँ निकल आती हैं
रसों के मिलन के बाद खिल ही जाते हैं फूल

दरकने लगते हैं पहाड़
जब कम होने लगता है प्रेम
बस्तियां जलने लगती हैं
तटबंध टूट जाते हैं
विश्वास बह जाता है सारा

जारी रहेगा जीवन का यह किस्सा
धड़कता रहेगा जब तक प्रेम अनंत
नष्ट नहीं होगी कभी
यह ख़ूबसूरत दुनिया.

ब्रजेश कानूनगो

इंदौर

परिचय

ब्रजेश कानूनगो

शिक्षा : हिंदी और रसायन शास्त्र में स्नातकोत्तर (मास्टर डिग्री)

प्रकाशन:

व्यंग्य संग्रह – पुनः पधारें, सूत्रों के हवाले से, मेथी की भाजी और लोकतंत्र।
कविता संग्रह- धूल और धुंएँ के पर्दे में,इस गणराज्य में,चिड़िया का सितार, कोहरे में सुबह।
कहानी संग्रह – ‘रिंगटोन’।
बाल कथाएं- ‘फूल शुभकामनाओं के।’
बाल गीत- ‘ चांद की सेहत’।
उपन्यास- ‘डेबिट क्रेडिट’।
आलोचना (साहित्यिक नोट्स) – ‘अनुगमन’।
यात्रा डायरी/संस्मरण- ‘रात नौ बजे का इंद्रधनुष’।

संप्रति: सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी। साहित्यिक,सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों में संलग्न। तंगबस्ती के बच्चों के व्यक्तित्व विकास शिविरों में सक्रिय सहयोग।

matruadmin

Next Post

मैं क्या कहता हूँ…

Mon Mar 16 , 2020
जीवन चुनौतियों से रहित हो, यह जरूरी तो नहीं.. जीवन में सब कुछ ठीक हो, यह जरूरी तो नहीं.. तेरे हिस्से में हो बेशक खुशियां बेशुमार, कोई गिला नहीं.. मेरे हिस्से हो महज़ गमों का पहाड़, जरुरी तो नहीं.. ये मौत का आंगन है, जिसमें जिंदगी की परीक्षा.. आसान हो […]

पसंदीदा साहित्य

नया नया

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।