हिचकियों का रहस्य

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जब जब हिचकी आईं हैं मुझको,
तब तब तेरी याद आई है मुझको।
पता नहीं ये यादें क्यों हमे सताती,
इसका रहस्य तो बताओ मुझको।

जब जब दूर रहते है एक दूजे से,
मिल नहीं पाते हैं हम एक दूजे से।
तब तब हिचकी आती है दोनो को
मिलने का प्रयत्न करते एक दूजे से।

लगता हैं हिचकियां वीणा के तार है जैसे,
बजने लगते हैं याद करते जब एक दूजे को जैसे।
क्या रहस्य छिपा है इन दिल के तारो मे,
जब हिचकियां आती हैं एक साथ दोनो के जैसे।

लगता है मेरी याद रही है तुझको,
बेबस बेसहारा कर रही है तुझको
मलाल न करना इन सब बातो का
मिलने जल्द आऊंगा मै तुझको।।

आर के रस्तोगी
गुरुग्राम

matruadmin

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