मातृभाषा तेलंगाना इकाई ने साहित्यकारों को दिया भाषा सारथी सम्मान

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निज़ामाबाद। गोदावरी नदी के तट पर भगवान व्यास महर्षी की समाधी स्थल बिनोला में मातृभाषा उन्नयन संस्थान तेलंगाना इकाई ने हिन्दी महोत्सव 2024 के अंतर्गत सम्मान समारोह आयोजित किया। जिसमें तेलंगाना के हिन्दी सेवी पूनम रिदलान एवं‌ सतीश‌ व्यास को “भाषा सारथी सम्मान” से सम्मानित किया गया। जिसमें शाल, प्रमाण – पत्र, संस्थान की ओर से स्मृति भेंट भी प्रदान किया गया है।


कार्यक्रम की अध्यक्षता तेलंगाना इकाई के प्रदेश अध्यक्ष श्रीमन्नारायणाचार्य “विराट”, मुख्य अतिथि पंडित परिषद के अध्यक्ष जमील सहित मातृभाषा उन्नयन संस्थान निजामाबाद के अध्यक्ष प्रवीण जी राज्य संसाधक शिवराजन् और वरिष्ठ अध्यापक पांडुरंगा राव उपस्थित थे।

अध्यक्षीय भाषण में प्रदेश अध्यक्ष विराट ने पुरस्कृत हिन्दी सेवीयों को बधाई देते हुए कहा कि ‘राष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए एक भाषा की आवश्यकता होती है, वह एकमात्र भाषा हिंदी ही सर्व योग्य सर्वसम्मत भाषा है। परंतु राजनीति के कारण विगत 75 वर्षों से वह राष्ट्रभाषा की पीठ खाली दिखाई दे रही है, उस सिंहासन पर सम्मान के साथ हिंदी को अभिषेक करने का समय अब आ गया है क्योंकि केंद्रीय सरकार इस और अग्रसर हो रही है और इसके साथ में अपने मातृभाषा उन्नयन संस्थान की ओर से राष्ट्रीय आंदोलन चला रहा है, जिसमें हस्ताक्षर बदलो एक है। जिसमें आज तक 30 लाख लोगों के हस्ताक्षर परिवर्तन करा कर विश्व में कीर्तिमान स्थापित किया है।’
उन्होंने यह भी कहा कि ‘देश विदेश में आज हिंदी भाषा को सीखने के लिए उत्साह बढ़ रहा है, अनेक विश्वविद्यालय में हिंदी की मांग बढ़ रही है और इसके अनुरूप विश्व में अपने जन प्रतिनिधि, नेता जहां कहीं भी जाते हैं, मात्र हिंदी में ही अपने भाषण दे रहे हैं। जिससे विश्व पूरा हिंदी को समझने का प्रयास कर रही है। अपने तेलंगाना , तमिलनाडु, केरल ,कर्नाटक जैसे अहिन्दी प्रान्तों में जो भ्रम फैलाया जा रहा है उसे मिटाने की जिम्मेदारी हम जैसे हिंदी योद्धाओं पर है।


इस अभियान को हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय डॉ अर्पण जैन “अविचल” जी अपने अनवरत प्रयास के कारण आज देश में कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के कई प्रदेशों के राज्यपाल एवं मंत्रियों ने लिखित पूर्वक अपने समर्थन संदेश पत्र मातृभाषा उन्नयन संस्थान को दिए हैं जिससे इस संस्थान का बल बढ़ रहा है।
इस तरह राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह संस्थान अविराम गति से बढ़ रही है हर क्षेत्र के हिंदी योद्धाओं से संपर्क में हैं और सभी को साथ लेकर राष्ट्रभाषा हिन्दी को सिंहासन पर बिठाने का सफल प्रयास इस संस्था से होंगी इसके लिए आप सबका समर्थन एवं सहयोग चाहिए।’

पदाधिकारियों ने कार्यक्रम में सम्मिलित हुए मुख्य अतिथि एवं सभी सदस्यों को, सभी मित्रों को धन्यवाद दिया।

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संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।