
*सूफी दर्शन की प्रतिनिधि कृति बच्चन जी की ’मधुशाला’-डाॅ. कल्पना पुरोहित*
इन्दौर। श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति, इन्दौर में कालजयी साहित्यकार स्मरण श्रृंखला की 35वीं कड़ी में हिन्दी के सुपरिचित कवि विशेषकर छायावादी कवि डाॅ. हरिवंशराय बच्चन को आदर के साथ याद करते हुए उनके साहित्य कृतित्व और व्यक्तित्व पर विद्वानों ने विचार रखे तथा उनके चित्र का अनावरण भी किया गया। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डाॅ. कल्पना पुरोहित (जयनारायण विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति) ने बच्चनजी के साहित्य पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि उनकी मधुशाला, मधुबाला, जैसी कृतियों की रुबाईयां लोग गुनगुनाते हैं। इनमें दर्शन है। इनकी पंक्तियां गागर में सागर भरने के कथन को चरितार्थ करती है। बच्चनजी की रचनाओं में अनुभूति, संवेदनशीलता, परमात्मा से जुडने का मार्ग भी मिलता है वे छात्रों की मदद करने में अग्रणी भूमिका निभाते रहे। उनकी रचनाओं में स्वतंत्रता संग्राम संदर्भ जोश बढाने वाली पंक्तियां भी मिलती हैं। सूफी दर्शन की प्रतिनिधि कृति है उनकी ’मधुशाला’। ’अग्निपथ’ को उनके सुपुत्र अमिताभ बच्चन स्वयं कई बार अपनी आवाज में प्रस्तुत कर चुके हैं। डाॅ. अर्पण जैन ने मंदिर मस्जिद बैर बढ़ाते, मेल कराती मधुशाला को उद्धृत करते हुए राष्ट्रीय एकता के संदर्भ में उनके योगदान को रेखांकित किया। आकाश यादव ने उनकी कविता की ये पंक्तियां ’जीवन में पतझर आने से जीवन का अंत नहीं होता’ सुनाकर उनके आशावादी विचारों को प्रस्तुत किया। मणिमाला शर्मा ने भी उनकी एक रचना पढी।
कार्यक्रम के दूसरे सत्र में सुप्रसिद्ध लोकगीत गायक श्री दयाराम सारोलिया ने बच्चन जी की कविताओं की संगीतमय प्रस्तुति की। उनके साथ संगत में श्री राम सनवेरिया तथा मनोज घुणावत थे। इस अवसर पर श्री दयाराम सारोलिया द्वारा संकलित ’मालवा में कबीर’ कृति का लोकार्पण भी अतिथियों के द्वारा किया गया।
आरंभ में कार्यक्रम का संचालन कर रही समिति की साहित्यमंत्री डाॅ. पद्मा सिंह एवं प्रधानमंत्री श्री अरविन्द जवलेकर ने मुख्य अतिथि का शाॅल-श्रीफल से स्वागत किया। आभार प्रचारमंत्री हरेराम वाजपेयी ने व्यक्त करने के साथ 1935 में इन्दौर के हिन्दी सम्मेलन में गांधी जी एवं बच्चन जी के मध्य हुए संदर्भ की भी याद दिलायी। कार्यक्रम में सर्वश्री पुनीत चतुर्वेदी, अंतरा करवडे, शोभा रानी तिवारी, घनश्याम यादव, राजेश जैन, डाॅ. वसुधा गाडगिल, डाॅ.सुरेन्द्र सक्सेना, डाॅ. अमृता अवस्थी, माधवी तारे, डाॅ. मनीषा पांडे, डाॅ. रोशन बेंजामिन, डाॅ. आभा होलकर, डाॅ. राधिका इंगले, डाॅ. सुनीता फडणवीस, राहुल महाशब्दे आदि काफी संख्या में साहित्यकार एवं सुधीजन उपस्थित थे।
