बेटियों के लिए लिखी किताबों ‘पिता के पत्र बिटिया के नाम’ और ‘रूदादे–सफर’ पर चर्चा कर वामा साहित्य मंच ने मनाया पितृ दिवस

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इन्दौर। एक बेटी का पिता हमेशा दुनिया को बेहतर करना चाहता है, क्योंकि उसकी बेटी को भी इसी दुनिया में रहना है। यह बात वरिष्ठ साहित्यकार पंकज सुबीर ने कही। शनिवार को वामा सदस्यों ने पुत्रियों के लिए लिखी पुस्तकों पर चर्चा कर पितृ दिवस मनाया।
आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में इन्ही किताबों के लेखक डॉ. विकास दवे एवं पंकज सुबीर मौजूद रहे।
विकास दवे की पुस्तक पिता के पत्र बिटिया के नाम पर वंदना शर्मा (संदेश),भावना वर्बे ( विषय वस्तु), अमर चढ्ढा (भाषाशैली), निरूपमा त्रिवेदी (भाव पक्ष), डाॅ आरती दुबे(उद्देश्य परकता)सरला मेहता (सटीकता)
चेतना भाटी (भाषा की सहजता) उषा गुप्ता ने बिंदुओं पर व पंकज सुबीर की पुस्तक “रुदादे सफर” पर गरिमा दुबे, किसलय पंचोली (कथानक), वाणी अमित जोशी (रिश्तों की परिपक्वता), नुपूर प्रणय वागले (मनोवैज्ञानिक प्रभाव) आदि ने चर्चा की।
सरस्वती वंदना गीता नामदेव ने प्रस्तुत की। अतिथियों का स्वागत शांता पारेख,अनुपमा गुप्ता, निरुपमा नागर, मंजू मिश्रा ने किया। अध्यक्ष इंदु पाराशर ने अपने स्वागत उद्बोधन में पिता के लिए कहा।


इस कार्यक्रम की संयोजक और वामा साहित्य मंच की संस्थापिका अध्यक्ष पद्मा राजेंद्र जैन ने कार्यक्रम की जानकारी दी।
विकास दवे जी ने अपने अतिथि उदबोधन में सुबीर जी की तारीफ करते हुए कहा कि देह की बात सभी ने की ,देहदान की बात कोई विरला ही करता है। पितृ दिवस की बात करते हुए कहा कि माता और पिता का कोई दिन नही होता है। चाहे जैसी परिस्थिति हो,पिता पुत्री का हाथ नही छोड़ता। इस अवसर पर उन दो पुत्रियों हर्षिता दवे और नंदिनी जिनके लिए ये किताबें लिखी गई,उनका भी सम्मान किया गया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह क्रमशः नीलम तोलानी,भावना दामले, पुष्पा दसोंधी,हंसा मेहता द्वारा प्रदान किए गए। आभार संगीता परमार ने माना।श्रीमती दवे जी का स्वागत ज्योति जैन ने किया। अगले कार्यक्रम संबंधित सूचनाएं सचिव डॉ शोभा प्रजापति ने दी।

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।