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बेवजह ही बेजुबां
दिल हो गया,
अरमानों का अपने ही
कातिल हो गया।
मेरी उम्मीद जब बोली,
तू शायद हमारा हो।
हम बोले डुबोने बाला
कब से साहिल हो गया॥
#अमित शुक्ला
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