वो गुज़रा ज़माना

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pritee
वो गुजरा हुआ कल,वह ज़माना नहीं रहा।
वो पहले वाला बचपन, वह याराना नहीं रहा॥
जिनमे थे,गुड्डे गुड़ियों के खेल।
प्यारी दादी का,अब वह तराना नहीं रहा॥
खेले थे जिनमें,बचपन के सब खेल।
वह बाग़ वे मैदान,वह ठिकाना नहीं रहा॥
देखा करते थे घंटों,ढलते सूरज को
नदी का अब वह,किनारा नहीं रहा॥
प्यार भरी नज़र के लिए, लुटा देते थे जान।
मग़र अब प्यार भरा वह,जमाना नहीं रहा॥

                                                                         #प्रीती दुबे

परिचय : मध्य प्रदेश में ही निवासरत प्रीति दुबे प्रधानमंत्री सड़क योजना छिंदवाड़ा में उपयंत्री के पद पर कार्यरत हैं।आपने कुछ समय पहले ही शौकिया तौर पर लिखना शुरू किया है। आपकी रचनाओं का खास तत्व स्त्री और प्रेम है।

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